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    चीन सीमा तक पहुंचने वाली सड़कें अभी भी अधूरी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 30 Jan 2017 07:30 AM (IST)

    भारत-चीन सीमा तक चीन में चकाचक सड़के हैं, लेकिन भारत में अभी तक सीमा तक पहुंचने वाली सड़कों का निर्माण अधूरा पड़ा हैं। निर्माण की धीमी गति के चलते सड़कोंं के बनने में समय लगेगा।

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    चीन सीमा तक पहुंचने वाली सड़कें अभी भी अधूरी

    धारचूला, पिथौरागढ़ [तेज सिंह गुंज्याल]: भारत-चीन सीमा तक चीन में चकाचक सड़के हैं, लेकिन भारत में अभी तक सीमा तक पहुंचने वाली सड़कों का निर्माण अधूरा पड़ा हैं। हालांकि चीन सीमा के निकट तक को सड़क बन चुकी है परंतु नीचे से बन रही सड़क अभी भी उससे जुड़ नहीं पा रही है।

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    धारचूला से बन रही सड़क लखनपुर तो धापा से बन रही सड़क 12 किमी आगे जाकर थम चुकी है। चीन तिब्बत में सड़कों के जाल बिछा रहा है। उसने तिब्बत में भारत सीमा तक दो सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया है। लिपू पास तक तो वह कई वर्ष पूर्व ही सड़क बना चुका था।

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    भारत के कैलास-मानसरोवर यात्री जब पांच पैदल पड़ावों से होते हुए लीपू पास पार कर चीन में प्रवेश करते हैं तो उन्हें वाहन मिलते हैं। चीन लिम्पियाधूरा सीमा तक हाईवे का निर्माण भी कर चुका है। यही सब देखते हुए भारत में भी चीन सीमा तक सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई।

    वर्ष 2007 में धारचूला तहसील में गर्बाधार से लिपूलेख तथा मुनस्यारी में तिब्बत सीमा पर स्थित अंतिम गांव मिलम तक सड़क निर्माण का निर्णय लिया गया। सड़क निर्माण का कार्य सीमा सड़क संगठन को मिला। चीन सीमा तक सड़क निर्माण की समय सीमा 2014 रखी गई थी। कार्य शुरू हुआ तो गर्बाधार से आगे खड़ी चट्टानों के आगे व्यवस्था पस्त होने लगी।

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    सात साल में मात्र चार किमी सड़क बन सकी, जबकि उच्च हिमालय के बुग्यालों में सड़क निर्माण होने लगा। हेलीकॉप्टर के माध्यम से उच्च हिमालय में गुंजी और मिलम में सड़क निर्माण के उपकरण पहुंचाए गए। बीआरओ ने चीन सीमा पर पुलों का निर्माण भी कर दिया। धारचूला में चीन सीमा पर तीन मोटर पुल बन गए। यहां पर गर्बयांग के पास से नाबीढांग तक सड़क में मोटर भी चलने लगी।

    इसी तरह मुनस्यारी क्षेत्र में भी उच्च हिमालयी भू-भाग में सड़क तैयार हो गई, परंतु उच्च मध्य हिमालय से उच्च हिमालय की बीच में स्थित चट्टानों ने सड़क निर्माण की राह रोक दी। इस पर सड़क निर्माण की सीमा 2016 कर दी गई। वर्ष 2016 भी चला गया।

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    गर्बाधार से आगे सड़क निर्माण के लिए बीआरओ जैसे भारी-भरकम विभाग को भी निजी ठेकेदारों को काम सौंपना पड़ा। निजी कंपनी द्वारा सड़क निर्माण का कार्य अभी लखनपुर तक ही किया जा सका है। लखनपुर से छियालेख तक लगभग 27 किमी सड़क का निर्माण होना है। वर्तमान वर्ष में भी चीन सीमा तक सड़क का निर्माण पूरा होने में संदेह है। शीतकाल में बर्फ तो बरसात में मौसम सड़क निर्माण में बाधा डालता है। इस चुनौती से पार पाने पर ही चीन सीमा तक समय से सड़क निर्माण संभव है।

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    आगामी तीन साल में पूरी होगी सड़क

    बीआरओ के कमांडिक अफसर मनीष नारायाण के मुताबिक गर्बाधार से चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। गर्बाधार से आगे का कार्य निजी कंपनी को दिया गया है। बीआरओ ने नाबीढांग तक सड़क बना दी है। मुख्य पुल बन चुके हैं। आगामी दो-तीन वर्षों में चीन सीमा तक सड़क तैयार हो जाएगी।

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