पारंपरिक रीति रिवाज से मनाया जा रहा ऋतु पर्व फूलदेई
नैनीताल में ऋतु पर्व फूलदेई पारंपरिक रीति रिवाज के साथ मनाया जा रहा है। ये पर्व एक संस्कृति को उजागर करता हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के प्रति पहाड़ के लोगों के सम्मान और प्यार को भी दर्शाते हैं।
नैनीताल, [जेएनएन]: जिला मुख्यालय समेत आस-पास के क्षेत्रों में ऋतु पर्व फूलदेई पारंपरिक रीति रिवाज के साथ मनाया जा रहा है। बच्चों ने घरों में जाकर फूल देइ छम्मा देई.....गाकर मंगल कामना की, तो बदले में उन्हें गुड़ इत्यादि दिया गया। कुमाऊं में चैत्र माह के पहले दिन ऋतु परिवर्तन का पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व एक संस्कृति को उजागर करता हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के प्रति पहाड़ के लोगों के सम्मान और प्यार को भी दर्शाते हैं।
इसके अलावा पहाड़ की परंपराओं को कायम रखने के लिए भी ये पर्व-त्योहार खास हैं। इस त्योहार को फूल संक्रांति भी कहा जाता है, इसका सीधा संबंध प्रकृति से है। इस समय चारों ओर छाई हरियाली और नाना प्रकार के खिले फूल प्रकृति के यौवन में चार चांद लगाते हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने से ही नव वर्ष शुरू होता है। इस नव वर्ष के स्वागत के लिए खेतों में सरसों खिली है तो पेड़ों में फूल भी आने लगे हैं। चैत्र महीने के पहले दिन बच्चे लोगों के घरों में जाकर उनकी दहलीज पर फूल चढ़ाते हैं और सुख-शांति की कामना करते हैं। इसके बदले में उन्हें परिवार के लोग गुड़, चावल व रुपये देते हैं। मेष संक्रांति कुमाऊं में फूल संक्रांति के नाम से भी जानी जाती है।
फूलदेई की परंपरा को मनाने के लिए चैत्र महीने के पहले दिन से एक दिन पहने ही बच्चे फूल चुनकर ले आते हैं और नव वर्ष के पहले दिन बच्चे इसे टोकरी व थाली में लेकर घर-घर पहुंचते हैं। इस दिन लोगों के घरों से मिले चावल से शाम को हलवा भी बनाया जाता है।
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