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कश्मीर में नियंत्रण के लिए सेना को फ्री हैंड की जरूरतः भंडारी

कारगिल जंग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन व सेना के प्रवक्ता रहे ले. जनरल एमसी भंडारी ने कश्मीर में नियंत्रण के लिए सेना को फ्री हैंड करने की आवश्यकता जताई।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 12:03 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 07:00 AM (IST)
कश्मीर में नियंत्रण के लिए सेना को फ्री हैंड की जरूरतः भंडारी

नैनीताल, [किशोर जोशी]: कारगिल जंग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन व सेना के प्रवक्ता रहे ले. जनरल एमसी भंडारी ने कश्मीर के हालिया हालात से लेकर कारगिल की लड़ाई पर जागरण से खुलकर बातचीत की। सेवानिवृत ले. जरनल भंडारी के अनुसार कश्मीर मसले के राजनीतिक समाधान से भारत को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में हालात नियंत्रण करने के लिए सेना को फ्री हैंड कर देना चाहिए। पाकिस्तान के खिलाफ भारत को सांप की तरह दंश मारने की रणनीति के तहत काम करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमाम देशों की यात्रा के बाद पाकिस्तान दुनिया में अलग थलग पड़ गया है। अब मात्र चीन उसका कूटनीतिक सहयोगी बचा है, मगर चीन भारत का दुनिया में दूसरे नंबर का व्यापारिक सहयोगी है।

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रक्षा विशेषज्ञ सेवानिवृत ले.जनरल भंडारी कहते हैं कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों का कभी वजूद नहीं रहा। जन्म के बाद से 60 फीसदी समय के दौरान पाक में फौजी शासन रहा। 1948, 1965 के युद्ध में भारत के साथ मात खाने व 1971 में 93 हजार पाक युद्ध बंदियों को पकड़ने के बाद पाकिस्तान का भारत के प्रति ढर्रा बदल नहीं सकता।

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उन्होंने कहा कि 1990 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद को छोड़ने के बदले में पांच दुर्दांत आतंकियों को जेल से रिहा किया गया। इसमें जेकेएलएफ का एरिया कमांडर मकबूल बट व खूंखार आतंकी जावेद अहमद जर्जर शामिल था। 1997 में कश्मीर घाटी में हालात नियंत्रण में थे तो पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुशर्रफ कूटनीतिक रूप से चौतरफा घिर गए।
मार्च 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान से संबंध सुधारने की दिशा में साहसिक कदम उठाते हुए लाहौर तक बस यात्रा की। वाजपेयी का स्वागत करने के लिए पाकिस्तानी सेना का एक भी कमांडर नहीं आया। चार मई 1999 को चरवाहों से सूचना मिली कि कश्मीर घाटी के बटालिक सेक्टर की पहाडिय़ों में घुसपैठिये कब्जा जमाए बैठे हैं।

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मई के अंत तक कारगिल के 110 किमी क्षेत्र तक घुसपैठिये पहुंच गए। उनका लक्ष्य लेह वाली सड़क को काटकर सियाचिन के लिए सेना की आपूर्ति पर रोक लगाना था। जून तक पाक सेना की छह सात बटालियन घुसपैठ कर चुकी थी।
वाजपेयी ने सेना को दिए आदेश
ले. जनरल एमएसी भंडारी के अनुसार प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना ने 13 जून को तोतोलिंग व चार जुलाई को टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना के बुलंद हौसले व सख्त कार्रवाई को देखते घुसपैठिये भाग गए और भारतीय क्षेत्र में पाक सैनिकों के शव तक छोड़ गए।
भारतीय सेना ने पाक सैनिकों का रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया। इस दौरान आठ युद्ध बंदी पकड़े गए। दस जुलाई को प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पाक पीएम नवाज शरीफ को फोन कर बात की। भारत तब तक कारगिल जंग जीत चुका था।

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11 जुलाई को दोनों देशों के डीजीएमओ की अटारी में बैठक तय थी। पाकिस्तान की ओर से जनरल तौरिक जिया आए। वार्ता में पाकिस्तान से युद्ध विराम के बाद बदमाशी न करने को कहा गया, मगर पाक तब भी हरकतों से बाज नहीं आया। 26 जुलाई को पीएम वाजपेयी ने कारगिल जंग में विजय के बाद युद्ध विराम का एलान कर दिया।
नैनीताल के मेजर राजेश को मिला था महावीर चक्र
ले. कर्नल एमसी भंडारी बताते हैं कि कारगिल जंग में भारतीय सेना के 526 सैनिकों ने शहादत दी। जबकि आठ सौ घायल हुए थे। इसमें 72 सैनिक उत्तराखंड के थे। युद्ध में गढ़वाल रैफल की तीन, एअरफोर्स के साथ नागा रेजीमेंट, कुमाऊं रेजीमेंट शामिल थे। इस युद्ध में चार परमवीर चक्र व दस महावीर चक्र दिए गए। परमवीर चक्र में कैप्टन विक्रम बत्रा व कैप्टन मनोज पांडे को मरणोपरांत जबकि योगेंद्र यादव व संजय कुमार को भी दिया। नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी, देहरादून के विवेक गुप्ता महावीर चक्र पाने वालों में शामिल थे।
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