स्याह गगन में दिखा आतिशी उल्का पिंडों का नजारा
दूर स्याह गगन में झिलमिलाते तारों के बीच आसमानी आतिशबाजी का खगोल प्रेमियों ने भरपूर दीदार किया। यह नजारा ऐटा एक्वारिड मेटियोर शॉवर (उल्कावृष्टि) की आतिशबाजी की वजह से दिखा।
नैनीताल, [जेएनएन]: शुक्रवार रात आतिशी उल्का पिंडों का शानदार नजारा यादगार बन गया। दूर स्याह गगन में झिलमिलाते तारों के बीच आसमानी आतिशबाजी का खगोल प्रेमियों ने भरपूर दीदार किया। यह नजारा ऐटा एक्वारिड मेटियोर शॉवर (उल्कावृष्टि) की आतिशबाजी की वजह से दिखा।
वैज्ञानिकों के आकलन के अनुसार चार से सात मई की रात इस अनोखी खगोलीय घटना चरम पर रहने वाली थी, लेकिन पहले दिन आसमान बादलों से घिरा होने के कारण इस नजारे को नहीं देखा जा सका। वहीं शुक्रवार रात आसमान साफ था। अंधेरा होने के बाद छिटपुट उल्कावृष्टि नजर आनी शुरू हो गई थी।
रात 12 बजे के बाद यह अनोखी खगोलीय घटना चरम पर पहुंच गई। एक साथ कई-कई उल्का पिंड झिलमिलाते तारों के बीच धरती की ओर गिरती नजर आने लगे। यह आकर्षक आतिशबाजी जैसा नजारा था, जिसका लुत्फ उठाने के लिए लोग शहर से दूर सुनसान और अंधेरे वाली जगहों पर पहले जा चुके थे।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार यह आकर्षित करने वाली खगोलीय घटना है। रोशनी से चकाचौंध वाले शहरों में इस आतिशबाजी का आनंद नहीं उठाया जा सकता था। पर्वतीय, रेगिस्तानी व समुद्र से इसका बेहतरीन नजारा देखा जा सका।
जब पृथ्वी किसी कॉमेट द्वारा छोड़े गए अवशेषों से होकर गुजरती है तो तभी यह नजारा देखने को मिलता है। यह घटना पूरे साल भर होतीे रहती है, लेकिन चरम पर रहने के कुछ ही दिन होते हैं।
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