अस्थायी व संविदा कर्मियों को मिलेगा मातृत्व व पितृत्व अवकाश: हाईकोर्ट
हाई कोर्ट ने अस्थायी, दैनिक वेतनभोगी और संविदा महिला कर्मिकों को मातृत्व अवकाश व पुरुषों को पितृत्व अवकाश देने का आदेश पारित किया है। ...और पढ़ें

नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के सरकारी विभागों व उपक्रमों में तैनात हजारों महिला कर्मिकों के संबंध में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने अस्थायी, दैनिक वेतनभोगी और संविदा महिला कर्मिकों को मातृत्व अवकाश व पुरुषों को पितृत्व अवकाश देने का आदेश पारित किया है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश 60 दिन जबकि पुरुषों को पितृत्व अवकाश 15 दिन मिलेगा। मातृत्व अवकाश साल में 240 दिन से अधिक तक काम करने वाली महिला को ही दिया जाएगा। कोर्ट ने महिलाओं को चाइल्ड केयर लीव के तौर पर बच्चों के वयस्क होने तक 730 दिन का अवकाश देने का आदेश भी दिया है।
कोर्ट ने 50 से अधिक कर्मचारियों वाले उपक्रमों में कार्यरत महिलाओं को दिन में चार बार बच्चों की देखभाल के लिए छूट भी प्रदान की है। कोर्ट ने साफ किया है कि बच्चा पैदा होने के छह माह के दौरान किसी भी अस्थायी महिला कर्मी को बर्खास्त न किया जाए। आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए मुख्य सचिव की जवाबदेही तय की गई है।
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गुरुवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगोलीहाट में संविदा आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. शांति मेहरा की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में उनका कहना था कि मातृत्व अवकाश के दौरान सरकार द्वारा वेतन तक नहीं दिया जा रहा है।
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कोर्ट के समक्ष सरकार की ओर से कहा गया कि मातृत्व अवकाश अधिनियम के अंतर्गत अस्थायी महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं दिया जा सकता। खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को वेतन के साथ ही छह माह का मातृत्व अवकाश देने का आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसी सभी महिलाएं जो दैनिक वेतनभोगी हों, अस्थायी हों अथवा संविदा में तैनात हों, सभी मातृत्व अवकाश की हकदार हैं।
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