राज्य की संपदाओं को बेचकर राजस्व बढ़ाने में जुटी है प्रदेश सरकार: स्वामी शिवानंद
मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि यह सरकार राज्य की संपदाओं को बेचकर राजस्व बढ़ाने के कार्य में जुटी हुई है।
हरिद्वार, [जेएनएन]: मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने गंगा के खनन पर प्रदेश सरकार की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया। कहा कि यह सरकार राज्य की संपदाओं को बेचकर राजस्व बढ़ाने के कार्य में जुटी हुई है। यही वजह है कि अभी तक खनन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
आरोप लगाया कि यह सरकार पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार का अनुसरण कर रही है। जिससे खनन माफिया गंगा को खोखला करने में लगे हुए हैं। मातृसदन परमाध्यक्ष ने प्रदेश सरकार को धर्म की आंड़ में गुनाहगारों का ठेकेदार भी बताया। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार के गंगा के मुद्दे की जांच पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने व जजों के अपमान की कड़ी निंदा की।
गुरुवार को स्वामी शिवानंद सरस्वती जगजीतपुर स्थित मातृ सदन आश्रम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। कहा कि गंगा हमारी प्रतिबद्धता है। पर्यावरण की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। जिसको लेकर कोर्ट ने भी गंगा को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया है, लेकिन यह राज्य सरकार अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए शराब और खनन दोनों पर ही मौन है।
कहा कि यह सरकार सुप्रीम कोर्ट जाकर खुद के पैर में कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। कहा कि इस सरकार ने हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज दिया है कि गंगा खनन प्रकरण की जांच कराने की बात कही है। जो हाईकोर्ट के फैसले के विपरीत है।
इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरिद्वार व उधमसिंह नगर के मैदानी इलाकों को समुद्र बनाने में लगे हैं। कहा कि मातृ सदन सीएम के संकेत को भांप चुकी है। इस पर हम चुप नहीं रहेंगे। इसके खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी की जा रही है। कहा कि गंगा में खनन का दर्जा किसी को नहीं है। यह सरकार पूर्ववर्ती सरकार की दशा को देख ले।
किसी का अहंकार अधिक दिनों तक नहीं चला है। हरिद्वार एक धर्म नगरी है इसलिए यह सरकार धर्म की राह पर ही चले। मातृसदन परमाध्यक्ष ने चारधाम यात्रा में पड़ने वाले स्थालों व हाईवे पर शराब के प्रतिबंध लगाने की बात कह रही है। लेकिन इसे पूर्णत: प्रतिबंध नहीं लगाने की कवायद कर रही है। इसकी वजह सरकार के राजस्व हैं। कहा कि यही कार्य पूर्ववर्ती सरकार ने भी किया था। जिसका परिणाम जनता ने विधानसभा चुनाव में दिया। कहा कि मां गंगा की पूजा से नहीं, बल्कि उनकी रक्षा और समर्पण से आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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