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    गुरू गोविंद सिंह के जयकारों के साथ सिखों ने निकाली शोभायात्रा

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Tue, 03 Jan 2017 07:15 AM (IST)

    श्री गुरू गोविंद सिंह जी की 350 वें प्रकाश उत्सव के अवसर पर सिख समुदाय के लोगों ने शोभायात्रा निकाली।

    हरिद्वार, [जेएनएन]: सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी की 350 वें प्रकाश उत्सव के अवसर पर दशमेव सेवा मंडल पंचपुरी हरिद्वार के तत्वावधान में देवपुरा तिराहे से तपस्थान गुरू अमरदास तीजी पातशाही डेरा बाबा दरगाह सिंह सतीघाट कनखल तक एक बड़ी शोभायात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में सिख और पंजाबी समाज के लोगों ने भाग लिया।

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    शोभायात्रा का उद्घाटन निर्मल संतपुरा कनखल के परमाध्यक्ष संत जगजीत सिंह महाराज ने किया। शोभायात्रा में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए जिलाधिकारी हरवंश सिंह चुघ ने कहा कि दसवें गुरू गुरू गोविंद सिंह जी ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खालसा पंत की स्थापना की थी। उन्होंने समाज को एक नई दिशा दी।

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    साथ ही देशवासियों में देश की रक्षा के लिए देशभक्ति का जज्बा पैदा किया। संत जगजीत सिंह ने शोभायात्रा का उद्घाटन करते हुए कहा कि गुरू महाराज गोविंद सिंह के विचार हर युग में प्रासंगिक रहेंगे। उन्होंने कहा कि गुरू महाराज ने भाईचारे का संदेश समाज को दिया। उनके अंदर मानवता कूट-कूट कर भरी हुई थी।

    उन्होंने सुप्त समाज को जगाकर राष्ट्र की रक्षा में लगाया। समाजसेवी जगदीश पाहवा ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह सच्चे राष्ट्रवादी थे। राष्ट्र की एकता और सुरक्षा के लिए उन्होंने अपने परिवार को बलिबेदी पर चढ़ा दिया। शोभायात्रा का जगह-जगह लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया गया।

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    शोभायात्रा में सिख समाज के साहसिक दलों के सदस्यों ने भाला, बल्लम, तलवार, लाठी से शक्ति प्रदर्शन कर वीरता और साहस का परिचय दिया। शोभायात्रा देवपुरा, ऋषिकुल, जमुना पैलेस, पुराना रानीपुर मोड़, रानीपुर मोड़, दादू बाग, हनुमान गढी, निर्मल संतपुरा, सर्राफा बाजार, कनखल चौकबाजार होते हुए गुरूद्वारा गुरू अमरदास सतीघाट कनखल पहुंची। जहां शोभायात्रा का गुरूद्वारे के संचालिका बीबी विन्निदर कौर सौढ़ी और ग्रंथी देवेन्द्र सिंह आदि ने स्वागत किया।

    शोभायात्रा में गुरू ग्रंथ साहिब, पंच प्यारे, निशान साहिब, नगर कीर्तन मंडली, घोडे और हाथी पर सवार सिख धर्म के अनुयायी शामिल हुए। गुरू ग्रंथ साहिब के आगे महिलाए झाडू लगाती हुई चली। पूरी शोभायात्रा में गुरू ग्रंथ साहिब के ऊपर पुष्प वर्षा की गई।

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