अवैध खनन और कुंभ क्षेत्र के विस्तार की मांग को लेकर स्वामी शिवानंद ने शुरू की भूख हड़ताल
कुंभ क्षेत्र का विस्तार करने के साथ ही गंगा व सहायक नदियों से खनन को पूरी तरह से बंद करने की मांग को लेकर मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वत ...और पढ़ें

हरिद्वार। कुंभ क्षेत्र का विस्तार करने के साथ ही गंगा व सहायक नदियों से खनन को पूरी तरह से बंद करने की मांग को लेकर मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने अन्न का त्याग कर दिया। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द सरकार कोई फैसला नहीं लेती तो वह जल भी त्याग देंगे।
खनन के खिलाफ मातृ सदन समय-समय पर आंदोलन करता आया है। इसके तहत मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी आत्मबोधानंद की भूख हड़ताल आज 14वें दिन भी जारी रही।
अवैध खनन के साथ ही कुंभ क्षेत्र का विस्तार करने और कुंभ क्षेत्र से सभी स्टोन क्रशर हटाने की मांग को लेकर स्वामी शिवानंद भी कनखल स्थित मातृसदन में आज से तप पर बैठ गए। उन्होंने बताया कि तप के तहत वह आज व कल सिर्फ पानी ही ग्रहण करेंगे। यदि इस पर भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो वह जल का भी त्याग कर देंगे।
संतों ने खारिज किया स्वामी शिवानंद का प्रस्ताव

संत-समाज ने एक बार फिर मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती पर निशाना साधा है। भोगपुर तक कुंभ मेला क्षेत्र का विस्तार किए जाने की मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती की मांग को संतों ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि भोगपुर में न तो कोई तीर्थ स्थल है और न ही कोई मठ-मंदिर है।
हरिद्वार के अमीर गिरि गंगा घाट पर आयोजित पत्रकार वार्ता में अखिल भारतीय सनातन संत समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत विनोद गिरि महाराज ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि पहले प्रशासन को उत्तरी हरिद्वार के गंगा घाटों पर जल की मात्रा बढ़ानी जानी चाहिए।
संत समाज के प्रचारमंत्री महंत ललितानंद गिरि ने कहा कि स्वामी शिवानंद मात्र गंगा में खनन का विरोध करने के लिए ही तप कर रहे हैं। उन्हें इस समय गंगा की दुर्दशा से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि यदि स्वामी शिवानंद को गंगा ही इतनी ही चिंता है तो वह गंगा में खनन बंद करने के साथ ही गंगा की दुर्दशा के लिए भी तपस्या करना चाहिए। पहले उन्हें अखाड़ों की मर्यादा के बारे में जान लेना चाहिए, उसके बाद ही कोई तपस्या करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि गंगा में यदि जल्द ही पर्याप्त जल की मात्रा नहीं बढ़ाई गई तो महाशिवरात्रि से संत-समाज आमरण अनशन करने को बाध्य होगा।
पढ़ें-कुंभ क्षेत्र के विस्तार को लेकर स्वामी आत्मबोधानंद ने शुरू किया तप

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