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    भूकंप से चेतावनी के लिए कुमाऊं में लगेंगे सेंसर, दून और हल्द्वानी में सायरन

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 14 May 2017 05:01 AM (IST)

    गढ़वाल के बाद कुमाऊं भी अर्ली वार्निंग सिस्टम से लैस होगा। कुमाऊं क्षेत्र में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के तहत सेंसर लगाए जाएंगे। वहीं दून व हल्द्वानी में अलर्ट के लिए सायरन लगेंगे।

    भूकंप से चेतावनी के लिए कुमाऊं में लगेंगे सेंसर, दून और हल्द्वानी में सायरन

    रुड़की, [जेएनएन]: भूकंप से चेतावनी के लिए अब कुमाऊं क्षेत्र में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के तहत सेंसर लगाए जाएंगे। वहीं देहरादून और हल्द्वानी में अलर्ट के लिए कुल 100 से 110 सायरन लगेंगे। उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की को इसकी अनुमति दे दी है। तीन करोड़ रुपये का बजट भी उपलब्ध करवाया जाएगा। सेंसर लगने से भूकंप से होने वाले जान-माल के खतरे को काफी कम किया जा सकेगा।

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    राज्य में गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं भी अर्ली वार्निंग सिस्टम से लैस होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम फॉर नॉर्दर्न इंडिया प्रोजेक्ट के तहत आइआइटी रुड़की ने चमोली से लेकर उत्तरकाशी तक पहले ही 84 सेंसर लगा दिए हैं। सेंसर लगे क्षेत्र से भूकंप आने की सूचना और आंकड़े संस्थान की आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र में बनी प्रयोगशाला में दर्ज हो रहे हैं। 

    प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इंवस्टीगेटर एवं आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर अशोक कुमार माथुर की ओर से कुमाऊं क्षेत्र में भी सेंसर लगाने के प्रयास किए जा रहे थे। इसके लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को प्रस्ताव बनाकर भेजा था। प्रदेश सरकार से भी वार्ता चल रही थी। अब मंजूरी मिल गई है। 

    अगले एक साल के दौरान आइआइटी रुड़की को कुमाऊं में 100 सेंसर लगाने के साथ ही देहरादून और हल्द्वानी में 100 से लेकर 110 तक की संख्या में सायरन लगाने होंगे। प्रो. माथुर के अनुसार उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रोजेक्ट की अवधि एक साल बढ़ा दी है। प्रत्येक 10-15 किमी की दूरी पर एक सेंसर लगेगा। एनआइसी और बीएसएनएल के टॉवरों के माध्यम से कनेक्टिविटी दी जाएगी।

    5.5 तीव्रता पर बजेंगे सायरन

    गढ़वाल में सेंसर लगे क्षेत्र में यदि 5.5 तीव्रता का भूकंप आता है तो सायरन के जरिये जनता को अलर्ट किया जा सकेगा, ताकि वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकें। प्रो. माथुर के अनुसार 5.5 तीव्रता से छोटे भूकंप आने पर जान-माल के नुकसान का खतरा नहीं होता है। इसलिए अलर्ट के लिए 5.5 तीव्रता को फिक्स किया है। उन्होंने बताया कि आइआइटी रुड़की के सभी हॉस्टल में भी सायरन लगाए गए हैं। 

    इतनी देर में जारी किया जा सकेगा अलर्ट

    शहर-----------------सेकंड 

    देहरादून-------------20 

    हरिद्वार------------22

    रुड़की----------------31  

    मुजफ्फरनगर------44

    मेरठ----------------57

    दिल्ली--------------76

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