उत्तराखंड में बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं भूकंप के झटके
विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड में जिस प्रकार से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, उसे बड़े खतरे का संकेत भी हो सकते हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: धरती के अंदर चल रही उथल-पुथल को लेकर पूर्वानुमान तो व्यक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके प्रति सचेत अवश्य रहने की जरूरत है। विशेषकर, तब जबकि यह बता पाना असंभव हो कि किसी भी क्षेत्र में कब और कितना बड़ा भूकंप कितनी अवधि के भीतर आ सकता है। ऐसे में चिंता बढ़नी अस्वाभाविक भी नहीं।
विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड में जिस प्रकार से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, उसे बड़े खतरे का संकेत भी हो सकते हैं। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े भूकंप की आशंका हर वक्त बनी रहती है। ये आने वाले दिनों से लेकर 50 साल बाद भी आ सकता है। हिमालयी क्षेत्र की भूगर्भीय प्लेटों का लगातार तनाव में रहना इसकी मुख्य वजह है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि इंडियन प्लेट प्रतिवर्ष 45 मिलीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट के नीचे घुस रही है। इससे भूगर्भ में लगातार ऊर्जा संचित हो रही है। तनाव बढ़ने से निकलने वाली अत्यधिक ऊर्जा से भूगर्भीय चट्टानें फट सकती हैं। 2000 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रृंखला के हर 100 किमी क्षेत्र में उच्च क्षमता का भूकंप आ सकता है।
हिमालयी क्षेत्र में ऐसे 20 स्थान हो सकते हैं। वैसे इस बेल्ट में इतनी शक्तिशाली भूकंप आने में करीब 200 साल का वक्त लगता है। वह बताते हैं कि हालात इशारा कर रहे कि उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के अनुसार यूरेशियन-इंडो प्लेट की टकराहट से भूमि के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। इससे भूकंप के झटके आते रहते हैं। हालांकि उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में लंबे समय से बड़ा भूकंप नहीं आया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यहां धरती के भीतर भारी मात्रा में ऊर्जा संरक्षित हो सकती है, जो कभी भी बड़े भूकंप का सबब बन सकती है।
गढ़वाल में हाल में आए भूकंप
तिथि---------------क्षेत्र------------परिमाण
10 जनवरी-------चमोली-----------3.2
23 जनवरी-----उत्तरकाशी--------3.5
03 फरवरी--------चमोली----------3.6
06 फरवरी-------रुद्रप्रयाग---------5.8
07 फरवरी-------रुद्रप्रयाग---------3.6
11 फरवरी-------रुद्रप्रयाग---------3.2
07 अप्रैल--------रुद्रप्रयाग---------4.0
10 अप्रैल--------उत्तरकाशी-------3.8
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