पोकलैंड से खनन पर रोक, शिवानंद ने किया जल ग्रहण
बाढ़ सुरक्षा के नाम पर गंगा में उतारी गई पोकलैंड मशीनों को तत्काल प्रभाव से हटाने के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आदेश के बाद हरिद्वार प्रशासन ने गंगा में खनन पर रोक लगा दी है। डीएम ने कहा कि इस संबंध में मुख्य सचिव के आदेश आने के बाद सिंचाई
देहरादून। बाढ़ सुरक्षा के नाम पर गंगा में उतारी गई पोकलैंड मशीनों को तत्काल प्रभाव से हटाने के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आदेश के बाद हरिद्वार प्रशासन ने गंगा में खनन पर रोक लगा दी है। डीएम ने कहा कि इस संबंध में मुख्य सचिव के आदेश आने के बाद सिंचाई विभाग से बाढ़ सुरक्षा का काम वापस ले लिया गया है।
मुख्य मंत्री के आदेश के बाद मुख्य सचिव एन रविशंकर ने अग्रिम आदेशों तक हरिद्वार में खनन के लिए प्रयोग की जा रही सभी मशीन हटाने संबंधी आदेश जिलाधारी हरिद्वार को दिए। मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेशों में हरिद्वार के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को गंगा से पोकलैंड मशीनें हटाने के लिए उत्तरदायी बनाया गया है। जिलाधिकारी एचसी सेमवाल ने कहा कि आदेश पहुंचे के बाद गंगा में खनन कार्य बंद कर दिया गया है। सिंचाई विभाग को भी इस काम से हटा दिया गया।
वहीं गंगा में बाढ़ सुरक्षा के नाम पर हो रहे खनन पर प्रतिबंध की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने जल ग्रहण कर लिया। उपजिलाधिकारी वीर सिंह बुद्धयाल दोपहर मातृ सदन पहुंचे और उन्होंने स्वामी शिवानंद को खनन पर रोक संबंधी आदेश दिखाए। इस पर उन्होंने जल ग्रहण तो कर लिया, लेकिन अनशन जारी रखा है।
गौरतलब है कि प्रशासन ने नदी तलों में उपखनिज जमा होने व इससे मानसून अवधि में बाढ़ के खतरे की आशंका जताते हुए उपखनिज उठाने की अनुमति दी थी। भारी मशीनों के जरिये यह काम भी शुरू हो गया। मातृसदन ने इसे अवैध खनन बताते हुए विरोध किया है। इसके विरोध में 21 मई से स्वामी शिवानंद सरस्वती ने अनशन शुरू किया था। 22 मई को कनखल स्थित मातृ सदन में उन्होंने जल भी त्याग दिया था। साथ ही खुद को कमरे में कैद कर लिया था।
इस बीच 25 मई को प्रशासन से वार्ता के बाद उन्होंने जल ग्रहण कर लिया था। साथ प्रशासन ने गंगा से खनन में लगी मशीनें भी हटा ली थी। दो दिन गंगा से मशीनें हटाने के बाद प्रशासन ने 27 मई को दोबारा बाढ़ सुरक्षा का काम शुरू कर दिया। प्रशासन का तर्क है कि खनिज जमा होने से नदियों का तल ऊपर उठ गया है। ऐसे में खनन नहीं किया गया तो बारिश होते ही नदियों का जल स्तर बढ़ जाएगा और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।
प्रशासन का तर्क खारिज करते हुए इसके विरोध मे शिवानंद ने 27 मई को कनखल स्थित मातृ सदन में फिर से जल व्रत शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि जब तक समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो जाता तब वह अनशन जारी रखेंगे। वहीं मातृसदन के स्वामी आत्मबोधानंद का अनशन भी जारी है। वह मातृसदन में 16 मई से तप कर रहे हैं। वे खनन निदेशक व जिलाधिकारी के निलंबन की मांग कर रहे हैं।
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