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    उत्तराखंड से टला काठमांडू भूकंप का खतरा

    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि काठमांडू का भूकंप रामनगर की तरफ नहीं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश की तरफ बढ़ा था। इसका खतरा भी उत्तराखंड से टला है।

    By sunil negiEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2016 11:21 AM (IST)

    देहरादून, [सुमन सेमवाल]: नेपाल के काठमांडू में करीब सात सदी पहले आए विशाल भूकंप (ग्रेट अर्थक्वेक) का उत्तराखंड से कोई नाता नहीं है। इसके साथ ही ऐतिहासिक भूकंप की पुनरावृत्ति होने पर इसका खतरा भी उत्तराखंड से टल गया है। अब तक यह अवधारणा थी कि वर्ष 1255 में आठ रिक्टर स्केल से अधिक क्षमता का यह भूकंप काठमांडू से उत्तराखंड के रामनगर (नैनीताल जनपद) क्षेत्र की तरफ बढ़ा था। इस अवधारणा को खारिज करते हुए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि काठमांडू का भूकंप रामनगर की तरफ नहीं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश की तरफ बढ़ा था।

    वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आरजे पेरूमल के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के हरमुट क्षेत्र में ऐतिहासिक फॉल्टलाइन का अध्ययन किया गया। फॉल्टलाइन में गड्ढा खोदकर उसमें मिले कोयले की कार्बन डेटिंग की गई तो उसकी अवधि वर्ष 1255 पाई गई। इसके आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि काठमांडू में आया विशाल भूकंप करीब 800 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश तक बढ़ा।

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    डॉ. पेरूमल ने बताया कि अब तक के अध्ययनों के आधार पर काठमांडू के ग्रेट अर्थक्वेक की पुनरावृत्ति की अवधि कम से कम 679 वर्ष है। यह भूकंप वर्ष 1934 में भी आठ रिक्टर स्केल से अधिक की तीव्रता पर आ चुका है। हालांकि इसकी फॉल्टलाइन की दिशा का आज तक पता नहीं चल पाया है। लिहाजा, वर्ष 1255 के भूकंप को ही आधार मानकर यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि जब भी इसकी पुनरावृत्ति होगी उत्तराखंड पर भी इसका असर पड़ेगा। नये अध्ययन से अरुणाचल प्रदेश की चिंता बढ़ सकती है। हालांकि नई जानकारी के बाद अरुणाचल प्रदेश को अब अधिक सचेत रहने में मदद मिलेगी।
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    रामनगर में 1344 में आया विशाल भूकंप
    रामनगर की ऐतिहासिक फॉल्टलाइन का नाता काठमांडू से जुदा होने के बाद वैज्ञानिकों ने इसका भी इतिहास खंगाला। यहां खोदे गए गड्ढे में मिले कोयले की कार्बन डेटिंग से पता चला कि रामनगर में आठ रिक्टर स्केल से अधिक का भूकंप वर्ष 1344 में आया। रामनगर का भूकंप करीब 400 किलोमीटर दूर पंजाब की तरफ बढ़ा था। वैज्ञानिक डॉ. आरजे पेरूमल के मुताबिक सामान्यत: विशाल भूकंप की पुनरावृत्ति सामान्यत: एक हजार साल मानी जाती है। इस लिहाज से अभी रामनगर में लंबे समय तक विशाल भूकंप नहीं आयेगा। हालांकि पुनरावृत्ति के अनुमान की दिशा में अभी गहन अध्ययन की जरूरत है।


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    इस तरह पता चलती है ऐतिहासिक भूकंप की अवधि
    डॉ. पेरूमल के मुताबिक जिस स्थान पर मैदान और पहाड़ मिलते हैं, माना जाता है कि वहां पर विशाल भूकंप आया है। इन स्थलों पर चार-पांच मीटर गहरा, छह-सात मीटर चौड़ा व 20-25 मीटर लंबा गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढे से निकलने वाले कोयले या जली लकड़ी के अवशेष की कार्बन डेटिंग की जाती है। इस आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि विशाल भूकंप की अवधि कितनी पुरानी होगी।

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