सूचना पर भी नहीं पहुंची एंबुलेंस, महिला ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म
चकराता ब्लॉक के धौरा-पुडिया गांव में सूचना के बावजूद नजदीकी अस्पताल से तीन घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।
त्यूणी, देहरादून [जेएनएन]: उत्तराखंड में दूरस्थ क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदरंग तस्वीर चकराता ब्लॉक के धौरा-पुडिया में नुमाया हुई। सूचना देने के बावजूद जब नजदीकी नौगांव अस्पताल से तीन घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। गांव की चार महिलाओं ने यह प्रसव कराया।
अस्पताल की संवेदनहीनता की हद देखिए कि बाद में एंबुलेंस खराब होने की बात कहकर इसे भेजने से ही मना कर दिया गया। हालत बिगड़ने पर जौनसार-बावर क्षेत्र विकास समिति लाखामंडल के सहयोग से जच्चा-बच्चा को निजी वाहन से नौगांव अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल जच्चा-बच्चा की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर में स्वास्थ्य सेवा की बदहाली से जनता परेशान है। इसका ताजा मामला फिर से सामने आया। कांडोई-बोंदूर के धौरा-पुडिया निवासी 25 वर्षीय संगीता को सुबह करीब पांच बजे प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे पैदल मार्ग से लाखामंडल लाए। लाखामंडल समेत आसपास के गांवों की सुविधा के लिए खोले गए स्वास्थ्य उपकेंद्र में बीते दो-तीन साल से कोई स्टाफ नहीं होने से ताले पड़े हैं।
प्रसव पीड़िता की हालत खराब होने पर परिजनों ने नजदीकी अस्पताल नौगांव से एंबुलेंस भेजने की मांग की। लेकिन, सूचना के तीन घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। दोबारा फोन करने पर स्टाफ ने एंबुलेंस खराब होने का हवाला देकर लाखामंडल आने से मना कर दिया। आखिरकार सामाजिक संस्था जौनसार-बावर क्षेत्र विकास समिति लाखामंडल की अध्यक्ष बचना शर्मा समेत गांव की तीन अन्य महिलाओं मानवती, रजनी देवी व ममता देवी ने सड़क पर दर्द से कराहती महिला की सड़क पर ही डिलीवरी कराई।
प्रसव के बाद महिला की हालत बिगड़ने पर समिति अध्यक्ष समेत कुछ अन्य लोग जच्चा-बच्चा को निजी वाहन से नजदीकी अस्पताल नौगांव ले गए।
यह है सूरत-ए-हाल
जौनसार-बावर परगने में तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। जिनमें से चकराता सीएचसी में पांच चिकित्सक, साहिया सीएचसी में चार चिकित्सक व त्यूणी सीएचसी में मात्र एक चिकित्सक व दो फार्मेसिस्ट ही तैनात हैं।
तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से पीएचसी क्वांसी व पीएचसी लाखामंडल पर लंबे समय से ताला लटका हुआ है। पीएचसी कालसी में मात्र एक चिकित्सक ही तैनात है। इसके साथ ही तीन दर्जन स्वास्थ्य उप केंद्रों में से 15 पर ताले लटके हुए हैं, जबकि 15 सिर्फ एएनएम के सहारे संचालित हो रहे हैं।
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