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    उत्तराखंडः खत्म हो सकती है मेडिकल फीस में रियायत

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 29 Apr 2017 06:00 AM (IST)

    राज्य में चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शुल्क में दी जा रही रियायत को समाप्त किया जा सकता है। इस पर सरकार विचार कर रही है।

    उत्तराखंडः खत्म हो सकती है मेडिकल फीस में रियायत

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य में चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शुल्क में दी जा रही रियायत को समाप्त किया जा सकता है। सरकार अब सरकारी मेडिकल कॉलेज से उपाधि लेने के बाद राज्य में सेवा देने वाले चिकित्सकों रियायत राशि की प्रतिपूर्ति किस्तों में करने पर विचार कर रही है। 

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    स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता राज्य के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना और चिकित्सकों की कमी दूर करना है।

    सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ विभाग की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा रोस्टर के अनुसार ली जाए। 

    उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की तैनाती और स्थानांतरण की नीति को सख्ती से लागू किया जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ तैनात किए जाएं। इसके लिए सरकारी मेडिकल कालेजों में शिक्षा प्राप्त करने के बाद सरकारी अस्पतालों में सेवा देने के प्रावधान और सख्त किए जाएं। 

    उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हो तो फीस में दी जा रही छूट को समाप्त कर सरकारी सेवा देने वालों को इसकी प्रतिपूर्ति सेवा के दौरान किश्तों में की जाए। 

    समीक्षा के दौरान सीएम ने स्वास्थ्य विभाग के बेकार खड़े सचल चिकित्सा वाहनों पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा देने वाले इन वाहनों के संचालन के लिए तत्काल निविदा आमंत्रित की जाएं। 

    इसके साथ ही उन्होंने देहरादून स्थित गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव एस. रामास्वामी और सचिव वित्त अमित नेगी को इसके लिए 15 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। 

    बैठक में सीएम रावत ने कहा कि सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाए। लोगों को अन्य स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की जाए। लोक निजी सहभागिता (पीपीपी) मोड में संचालित अस्पतालों में लापरवाही दिखाने वाले संस्थाओं के साथ सख्ती से पेश आएं। 

    उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए आईटी के प्रयोग से दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाओं को मजबूत किया जाए। टेली मेडिसिन और टेली रेडियोलॉजी के जरिये दूरस्थ इलाकों को विशेषज्ञों की राय मुहैया कराई जाए। 

    इसके साथ ही उन्होंने अस्पतालों की गतिविधियों, मरीजों को दी जाने वाली  सुविधाएं, साफ-सफाई आदि की नियमित निगरानी की जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. आरएस आर्य आदि मौजूद थे। 

    एक साल में सुधरे लिंगानुपात

    समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिथौरागढ़ में जन्म के समय बेहद कम लिंगानुपात पर नाराजगी जताई और अधिकारियों को इसके लिए सख्त शब्दों में निर्देश दिए। गौरतलब है पिथौरागढ़ में लिंगानुपात 758 है। सीएम ने कहा कि एक साल में लक्ष्य तय कर सुधार किया जाए और इसकी निगरानी सीधे मुख्यमंत्री करेंगे। मुख्यमंत्री सचिवालय हर माह इसकी समीक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी की मुहिम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को राज्य में मजबूत किया जाएगा।

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