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पहली बार देशवासियों के साथ मनाएंगे ईको फ्रेंडली दीपावली, नहीं करेंगे आतिशबाजी

जौनसार-बावर के अधिकांश गांवों में सदियों से दीपावली के ठीक एक माह बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। इस बार कई गांवों ने देश भर के लोगों के साथ दीपावली मनाने का निर्णय किया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 11:07 AM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 03:45 AM (IST)
पहली बार देशवासियों के साथ मनाएंगे ईको फ्रेंडली दीपावली, नहीं करेंगे आतिशबाजी

त्यूणी, देहरादून [चंदराम राजगुरु]: वक्त के साथ आए बदलाव की झलक अब जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के खत (पट्टी) बाना के गांवों में भी दिखाई देगी। जौनसार-बावर के अधिकांश गांवों में सदियों से बूढ़ी दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है, जो दीपावली के ठीक एक माह बाद मनाई जाती है। लेकिन, बाना खत के लोगों ने इस बार शेष देश के साथ 30 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। हालांकि, इसमें पूरी तरह स्थानीय परंपराओं का समावेश होगा। इन दिनों इसके लिए जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं।
अपनी अनूठी परपंरा के लिए देश-दुनिया में विख्यात जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर में हर तीज-त्योहार को मनाने का अंदाज निराला है। देशभर में लोग दीपावली का त्योहार एक साथ मनाते हैं, लेकिन यहां इसके ठीक एक महीने बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है।

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इसके पीछे लोगों का तर्क है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चौदह साल वनवास काटने के बाद अयोध्या वापसी की सूचना जौनसार के लोगों को देर से मिली। जिस कारण यहां लोग महीनेभर बाद बूढ़ी दीपावली मनाते हैं।
अधिकांश लोगों का मत है पहाड़ में ज्यादातर लोग अक्टूबर आखिर व नंवबर की शुरुआत में फसल कटाई आदि कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इस दौरान कृषि-बागवानी के दबाव के चलते ही जौनसार में ठीक एक माह बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है।

अब सदियों पुरानी परपंरा से हटकर जौनसार के खत बाना अंतर्गत दधौ, पंजिया, बनसार, चापनू, अमराया, लुवांठा आदि गांवों के लोगों ने पंचायत कर बूढ़ी दीवाली के बजाए देशवासियों के साथ नई दीपावली मनाने का अहम फैसला किया है।
पांच दिन की होती है दीपावली
पंजिया में हुई खत बाना के लोगों की पंचायत में इस बार नई दीपावली को परपंरागत ढंग से मनाने का निर्णय लिया गया। स्याणा टीकम सिंह, सेनानिवृत्त कैप्टन चंद्र सिंह चौहान, रिटायर्ड डीएसपी सूरत सिंह, दधौ निवासी आंनद सिंह चौहान, कुंवर सिंह, संतराम चौहान आदि ने कहा कि पंचायत के कई नौकरी पेशा लोग बूढ़ी दीपावली पर छुट्टी नहीं मिलने के कारण घर नहीं आ पाते।

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इसलिए खत बाना के लोगों ने देशवासियों के साथ नई दीपावली मनाने का फैसला किया। दीवाली में सभी नौकरी पेशा लोगों के सपरिवार घर लौटने पर जौनसारी रीति-रिवाज से नई दीपावली मनाई जाएगी। कहा कि देशभर में लोग सिर्फ दो दिन ही दीपावली मनाते हैं, जबकि जौनसार में पांच दिन दीपावली मनती है।
200 गांवों में होती है बूढ़ी दीपावली
जौनसार-बावर में पर्यटन नगरी हनोल, अणू, रायगी, मैंद्रथ व हेडसू समेत पांच गांवों के लोग देशवासियों के साथ पिछले कई वर्षों से नई दीपावली मनाते आ रहे हैं। इसके अलावा बावर व देवघार खत समेत क्षेत्र के करीब 50 गांवों के लोग भी पिछले चार-पांच साल से देशवासियों के साथ ही दीपावली मना रहे हैं। जबकि, जौनसार, कांडोई-बोंदूर व कांडोई-भरम क्षेत्र के दो सौ से ज्यादा गांवों में दीपावली के ठीक एक माह बाद दीपावली मनाने का रिवाज है। इनमें खत बाना के लोग भी शामिल हैं।

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ईको फ्रेंडली होती है दीपावली
जौनसार-बावर में प्रदूषण रहित दीपावली मनाई जाती है। क्षेत्रवासी आतिशबाजी करने के बजाए चीड़ व भीमल की लकड़ी की मशाल जलाकर गांव के पंचायती आंगन में होलियात निकालते हैं। साथ ही ढोल-दमाऊ की थाप पर हारुल के साथ परंपरागत तांदी-नृत्य कर दीपावली का जश्न मनाते हैं।
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