पहले कम अंक पर नौकरी, अब अंक सुधार के लिए देंगे परीक्षा
उत्तराखंड के करीब साढ़े आठ हजार शिक्षकों को अब रिजल्ट सुधार के लिए अंक सुधार की परीक्षा देनी होगी। यह वेे शिक्षक हैं जो डीएलएड की निर्धारित योग्यता पू ...और पढ़ें

देहरादून, [जेएनएन]: राज्य के 8441 शिक्षकों को कई साल की नौकरी के बाद अब 'रिजल्ट' सुधारना होगा। यह शिक्षक डीएलएड की निर्धारित योग्यता पूर्ण नहीं करते हैं। ऐसे में उन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की अंक सुधार परीक्षा में बैठना होगा। वह न्यूनतम एक व अधिकतम चार विषयों में परीक्षा दे सकते हैं।
डीएलएड की अनिवार्यता के बाद अब शिक्षकों के सामने एक अड़ंगा और है। डीएलएड कोर्स के लिए उनके बारहवीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांग शिक्षकों के लिए पांच फीसद की रियायत है। जिन शिक्षकों के अंक कम हैं उन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की कक्षा बारह की अंक सुधार परीक्षा में शामिल होना होगा।
क्षेत्रीय निदेशक प्रदीप रावत ने बताया कि उत्तराखंड में 37230 अभ्यर्थियों द्वारा डीएलएड का पंजीकरण कराया गया है। सामान्य वर्ग में 6668 अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनके बारहवीं में 50 प्रतिशत से कम अंक हैं। इसी तरह आरक्षित वर्ग में 1777 अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनके 45 प्रतिशत से कम नंबर हैं। ऐसे में ये शिक्षक डीएलएड के लिए निर्धारित योग्यता पूरी नहीं करते हैं। इन्हें अर्हता पूर्ण करने के लिए अंक सुधार का विकल्प दिया गया है। जिसके लिए एनआइओएस की स्ट्रीम-1 में 31 जनवरी 2018 तक ऑनलाइन प्रवेश लिया जा सकता है। एनआइओएस की वेबसाइट के माध्यम से प्रवेश लिया जा सकता है। ऐसे अभ्यर्थियों की अंक सुधार परीक्षा अक्टूबर 2018 में आयोजित की जाएगी। अभ्यर्थियों के पास ऑन डिमांड परीक्षा का भी विकल्प है। जिन शिक्षकों के अंक कम हैं उन्हें कोर्स में प्रोविजनल प्रवेश दिया जाएगा। उनके 12वीं में अंक प्रतिशत निर्धारित प्रतिशत से कम होगा उन्हें डीएलएड प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।

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