अब यूएपीएमटी में जीरो नंबर पर भी मिलेगा दाखिला
उत्तराखंड में यूएपीएमटी में अब जीरो नंबर पर भी दाखिला मिलेगा। आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने यूएपीएमटी में न्यूनतम अंक की बाध्यता खत्म कर दी है।
देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश में बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस में अब जीरो नंबर पर भी दाखिला मिलेगा। आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने यूएपीएमटी में न्यूनतम अंक की बाध्यता खत्म कर दी है। अभ्यर्थी 23 अक्टूबर तक द्वितीय चरण की काउंसिलिंग के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। प्रथम राउंड की काउंसिलिंग में आयुष यूजी की लगभग आधी सीट खाली रह गई थीं। इस स्थिति में विवि ने न्यूनतम अर्हता में बदलाव कर परीक्षा में प्रतिभाग करने वाले हर उम्मीदवार को दाखिले का पात्र माना है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने तीन सितंबर को उत्तराखंड आयुष प्री मेडिकल टेस्ट (यूएपीएमटी) का आयोजन किया था। अक्टूबर प्रथम सप्ताह में विवि ने काउंसलिंग आयोजित की। इसे विडंबना ही कहेंगे कि प्रदेश में राज्य कोटे की 605 सीट पर महज 350 पंजीकरण ही हुए। ऐसे में प्रथम चरण की काउंसिलिंग में तकरीबन आधी सीटें खाली रह गईं। अब विवि ने द्वितीय चरण की काउंसलिंग के लिए सूचना जारी की है।
जिसमें न्यूनतम अंक की अनिवार्यता हटा दी गई है। जबकि पूर्व में न्यूनतम अंक की अर्हता सामान्य अभ्यर्थी के लिए 50 प्रतिशत, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत थी। लेकिन, तय अर्हता के अनुरूप उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए। विवि द्वारा जारी सूचना के अनुसार अब वह सभी उम्मीदवार जिन्होंने यूएपीएमटी दिया है काउंसिलिंग में हिस्सा ले सकते हैं। एमडी-एमएस में केंद्रीय आयुष मंत्रालय पहले ही यह ढील दे चुका है। जिसके बाद प्रवेश परीक्षा में जीरो अंक लाने वाला भी मेरिट के आधार पर दाखिले का हकदार हो गया है। यानी कोई भी सामान्य उम्मीदवार अब आयुष चिकित्सक बन सकता है।
एकाएक जारी हुआ शेड्यूल
आयुष यूजी में छात्रों का सूखा झेल रहा आयुर्वेद विश्वविद्यालय इसे लेकर कतई संजीदा नहीं दिख रहा। हद ये कि द्वितीय काउंसिलिंग की सूचना तब जारी की गई जब अधिकांश लोग फेस्टिव मूड में हैं। विवि ने एकाएक सूचना वेबसाइट पर अपडेट कर दी है।
भारी भरकम शुल्क
यूएपीएमटी में आवेदन व अन्य शुल्क की अधिकता भी छात्रों की कम संख्या का कारण मानी जा रही है। उस पर विवि ने इस बार परीक्षा कराने में भी विलंभ किया। प्रवेश परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों से 3500 शुल्क लिया गया। जबकि नीट समेत इस प्रकार की अन्य परीक्षाओं में शुल्क तुलनात्मक रूप से कम है।शायद यही वजह रही कि मात्र 2750 छात्रों ने ही आवेदन किया।
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