उत्तराखंड में हिमालयन भेड़ और थार का है खुशहाल कुनबा
पहली बार हुए सर्वे से पता चला कि चीन और नेपाल सीमा से सटे उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में भरल-थार का खुशहाल कुनबा है।
देहरादून, [केदार दत्त]: चीन और नेपाल सीमा से सटे उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए बेहतर वासस्थल है। राज्य के ट्रांस हिमालयन क्षेत्र में दो साल पहले कराए गए सर्वे के नतीजे तो यही बयां कर रहे हैं।
पहली बार हुए सर्वे से पता चला कि इस इलाके में भरल (ब्ल्यू शीप या हिमालयन भेड़) की संख्या 8549 है, जबकि हिमालयन थार की तादाद तीन सौ के करीब है। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो भरल की इतनी बड़ी तादाद से साफ है कि यहां हिमतेंदुओं की भी अच्छी-खासी संख्या है। वजह ये कि हिमतेंदुओं का प्रिय भोजन भरल ही है।
उत्तराखंड का ट्रांस हिमालयन क्षेत्र नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व, फूलों की घाटी, गंगोत्री नेशनल पार्क, अस्कोट अभयारण्य, गोविंद नेशनल पार्क समेत बड़े भूभाग को खुद में समेटे हुए है। वन्यजीवों के लिहाज से ट्रांस हिमालयन क्षेत्र की सेहत और वासस्थल आंकने के मकसद से जून 2015 में वन महकमे की 16 टीमों ने यहां सर्वे किया। इस दौरान विभिन्न स्थानों से वन्यजीवों के मल, पग चिह्न आदि नमूने एकत्र किए गए। बाद में नमूनों को जांच के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) भेज दिया गया।
अब इन नमूनों की जांच के नतीजे सार्वजनिक होने लगे हैं। प्रथम चरण में भरल व हिमालयन थार की गणना के आंकड़े जारी किए गए हैं। अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन बताते हैं कि ट्रांस हिमालयन क्षेत्र के 8545 वर्ग किमी क्षेत्र में भरल की अनुमानित संख्या 8549 आंकी गई है। यही नहीं, इस क्षेत्र में 297 हिमालयन थार के होने का अनुमान है।
जल्द खुलेगा हिम तेंदुओं का राज
डॉ.धनंजय के अनुसार ट्रांस हिमालयन क्षेत्र में जगह-जगह हिम तेंदुओं की मौजूदगी के प्रमाण तो मिले हैं, लेकिन ये सर्वे टीम को प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिखाई दिए। वहां से लिए गए हिम तेंदुओं के मल के नमूनों की डीएनए जांच डब्ल्यूआइआइ में चल रही है। उम्मीद है जल्द ही हिम तेंदुओं की संख्या के आंकड़े सामने आ जाएंगे।

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