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    निजी मेडिकल कॉलेजों ने अभ्यर्थियों के दाखिले रोके

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 27 Jul 2017 08:56 PM (IST)

    निजी मेडिकल कॉलेजों ने नीट काउंसिलिंग में आवंटित सीटों पर अभ्यर्थियों के दाखिले रोक दिए हैं। जिससे छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर संकट खड़ा हो गया है।

    निजी मेडिकल कॉलेजों ने अभ्यर्थियों के दाखिले रोके

    देहरादून, [जेएनएन]: एमबीबीएस में प्रवेश के लिए सीट आवंटन व शुल्क निर्धारण के मुद्दे पर मेडिकल कॉलेज व सरकार आमने-सामने आ गए हैं। निजी मेडिकल कॉलेजों ने नीट काउंसिलिंग में आवंटित सीटों पर अभ्यर्थियों के दाखिले रोक दिए हैं। जिससे छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर संकट खड़ा हो गया है।

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     देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश अब राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से होते हैं। राज्य में भी इस बार केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के जरिये दाखिले किए जा रहे हैं। एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रथम चरण में एमबीबीएस-बीडीएस की सीटें भी आवंटित कर चुका है। जिन पर अभ्यर्थियों को 31 जुलाई तक प्रवेश लेना है। राज्य में वर्ष 2012-2013 में निर्धारित शुल्क के आधार पर प्राइवेट मेडिकल कॉलजों में प्रवेश दिए जा रहे हैं। 

    फीस का निर्धारण नए सिरे से होना है, पर यह प्रस्ताव अभी भी ठंडे बस्ते में है। अभी महज कामचलाऊ व्यवस्था ही चल रही है। ये मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी के तहत संचालित होते हैं। ऐसे में विवि एक्ट की दुहाई देकर यह भी तर्क दिया जा रहा है कि फीस व सीट निर्धारण का उन्हें पूरा अधिकार है। सरकार के प्रतिनिधि व मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के बीच एक राय न हो पाने के कारण छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। हिमालयन इंस्टीट्यूट की याचिका जहां कोर्ट में विचाराधीन है, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा है। बहरहाल इस खींचतान के बीच छात्र असमंजस में हैं। 

     एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी का कहना है कि सीट आवंटन व शुल्क निर्धारण को लेकर एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के प्रतिनिधियों की मुख्यमंत्री से वार्ता हुई है। हमें यह आश्वासन मिला है कि इसका हल निकाल लिया जाएगा। उम्मीद है कि 29 जुलाई तक मामले का समाधान हो जाएगा। तब तक छात्र-छात्राओं को प्रवेश नहीं दिए जा रहे। 

     एसआरएचयू कुलपति डॉ. विजय धस्माना का कहना है कि राज्य सरकार के एक्ट से ही विवि की स्थापना हुई है। कॉमन काउंसिलिंग से सीट आवंटन पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सीटें भरना और शुल्क तय करना विवि के एक्ट के हिसाब से ही होगा। इसे लेकर हम पहले ही अपनी बात रख चुके हैं। हाल में दाखिले होल्ड पर रखे गए हैं। 

    चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि फीस व सीट निर्धारण शासनादेश के अनुरूप ही होना है। निजी संस्थान इस शासनादेश का पालन करें। उन्हें कम से कम छात्रों के भविष्य का ख्याल करना चाहिए। दाखिले रोक देना कोई समाधान नहीं है।

     

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