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    उत्तराखंड में विवादों से भरा रहा हरक का सियासी सफर

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2016 11:44 AM (IST)

    उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का राजनीतिक सफर कई तरह के विवादों से भरा पड़ा है। उन पर समय-समय पर कई गंभीर आरोप लगते रहे।

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का राजनीतिक सफर कई तरह के विवादों से भरा पड़ा है। वर्ष 2003 में उनके खिलाफ असम की युवती द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोप में सीबीआइ जांच चली। हालांकि, जांच में वह निर्दोष साबित हुए। इसके बाद एक अन्य महिला ने भी उन पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे।
    शिक्षा विभाग की एक महिला अफसर व अपने एक संबंधी को अन्य महकमे में प्रतिनियुक्ति दिलाने को लेकर भी विवादों में रहे, जबकि देहरादून जनपद के सहसपुर क्षेत्र में पत्नी के नाम खरीदी गई जमीन को लेकर भी वह लगातार विरोधियों के निशाने पर रहे हैं।

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    असोम की महिला से दुष्कर्म के आरोप में दोबारा फंसे पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत पर इस तरह का गंभीर आरोप पहली बार नहीं लगा है। उत्तराखंड की राजनीतिक में भूचाल लाने वाला एक ऐसा ही गंभीर प्रकरण वर्ष 2003 में भी सामने आया था।

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    उस वक्त डॉ. हरक सिंह तत्कालीन तिवारी सरकार में राजस्व मंत्री थे। असोम मूल की युवती ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, जिस पर सीबीआइ ने उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। मामले में मुकदमा होने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, प्रकरण की लंबी सीबीआइ जांच चली और डॉ. हरक का डीएनए परीक्षण भी किया गया। साथ ही, वह जांच के बाद निर्दोष साबित हुए।

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    यह प्रकरण उनके राजनीतिक भविष्य के लिए घातक होता दिख रहा था, मगर जांच में निर्दोष साबित होने के बाद हरक सिंह 2007 में फिर विधानसभा चुनाव जीत गए। विवादों का सिलसिला यहीं नहीं थमा और विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री रहते हुए भी उन पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया, मगर यह मामला कुछ दिन में ही शांत हो गया।
    डॉ. हरक सिंह अपनी दबंग कार्यशैली को लेकर भी सुर्खियों में रहे। शिक्षा विभाग की एक महिला अफसर को राज्य बीज एवं तराई विकास निगम में प्रतिनियुक्ति दिलाने के लिए वह अपनी ही सरकार के शिक्षा मंत्री से भी भिड़ गए थे।

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    शिक्षा विभाग की एनओसी के बगैर ही वह उक्त महिला अफसर को प्रतिनियुक्ति दिलाने में कामयाब रहे। ऐसे ही एक अन्य मामले में डॉ. हरक सिंह ने कृषि मंत्री रहते शिक्षा विभाग में प्रवक्ता अपने एक संबंधी को वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार के पद पर प्रतिनियुक्ति दिलाई।
    मौजूदा हरीश रावत सरकार में भी सैनिक कल्याण मंत्री रह रुद्रप्रयाग के जखोली में निर्माणाधीन सैनिक स्कूल के लिए उन्होंने उत्तराखंड सैनिक पुनर्वास संस्था के बजट से पांच करोड़ की धनराशि जारी करवा दी। मामला उछला, तो कुछ दिन पूर्व राज्यपाल ने सरकार से उक्त धनराशि वापस सैनिक पुनर्वास संस्था को लौटाने के निर्देश दिए।
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    उत्तराखंड की वर्तमान कांग्रेस सरकार में बगावत के मुख्य सूत्रधार भी डॉ. हरक सिंह ही रहे। कांग्रेस से बगावत कर उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से वह कांग्रेस सरकार के सीधे निशाने पर आ गए हैं। सहसपुर ब्लॉक के शंकरपुर क्षेत्र की जमीन की जांच भी सरकार ने तेज करा दी है।
    फर्जी पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर खरीदी गई करीब 108 बीघा जमीन को लेकर वह लगातार विरोधियों के निशाने पर हैं। यह जमीन उनकी पत्नी के नाम पर दर्ज है। अब जिला प्रशासन की ओर से इस प्रकरण की जांच कराई जा रही है।

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