Move to Jagran APP

भाजपा और कांग्रेस के बीच 'मूछों' की जंग में हाशिये पर जनता

उत्तराखंड में 55 दिन तक चले सियासी संकट के घटनाक्रम ने कांग्रेस और भाजपा के बीच तल्खी को चरम पर पहुंचा दिया।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 22 Jul 2016 11:33 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jul 2016 11:36 AM (IST)

देहरादून, [सुभाष भट्ट]: उत्तराखंड में 55 दिन तक चले सियासी संकट के घटनाक्रम ने कांग्रेस और भाजपा के बीच तल्खी को चरम पर पहुंचा दिया। विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन के भीतर हुए बवाल ने भी इसकी तस्दीक कर दी।
चार माह पहले इन दोनों दलों के बीच शुरू हुई सरकार गिराने व बचाने की 'जंग' जहां सड़कों से लेकर अदालत तक पहुंची, वहीं चुनावी आहट के बीच इस लड़ाई में अब विधानसभा भी अखाड़े में तब्दील हो गई। चिंता की बात यह है कि सत्तापक्ष व विपक्ष की सियासी खींचतान के बीच जनता से जुड़े मुद्दे सदन में हाशिये पर जाते दिख रहे हैं।

loksabha election banner

पढ़ें: विधानसभा सत्र में भाजपा के विरोध का सीएम हरीश रावत ने ये दिया जवाब
उत्तराखंड के संसदीय इतिहास में तीसरी निर्वाचित विधानसभा सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच न सिर्फ सियासी 'दंगल', बल्कि चरम पर पहुंची तल्खी के लिए भी याद की जाती रहेगी।
यूं तो दो बार गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान सदन में सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच राजधानी के मुद्दे को लेकर तलवारें खिंची थी, मगर बीते 18 मार्च को सत्तापक्ष के नौ विधायकों (अब पूर्व) की बगावत ने इस राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को मूछों की लड़ाई में तब्दील कर दिया।

पढ़ें: उत्तराखंड: विपक्ष की गैरमौजूदगी में सदन में विनियोग विधेयक पारित
अपनी सरकार को गिराने के लिए विपक्ष के साथ लामबंद हुए नौ विधायकों की मंशा पूरी नहीं हुई। अलबत्ता, उनहें विधायकी से हाथ जरूर धोना पड़ा। कांग्रेस सरकार का तख्तापलट करने की भाजपा की मंशा को उस वक्त झटका लगा, जब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हुए फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत सदन में बहुमत साबित करने में कामयाब रहे।

पढ़ें-बिखरने लगा घर तो दौड़े आए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
यह दीगर बात है कि भाजपा ने भी अपने विधायक भीमलाल आर्य के बदले कांग्रेस पार्टी के दस विधायक तोड़कर सरकार को काफी हद तक कमजोर कर दिया।
सियासी संकट के घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री का स्टिंग ऑपरेशन भी कांग्रेस व भाजपा के बीच तल्खी चरम पर पहुंचने का बड़ा कारण रहा है। इस मामले में सीबीआइ जांच झेल रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत भी भाजपा के हर दांव को पटखनी देने की जुगत में लगे हैं।

पढ़ें:-सीएम हरीश रावत ने बागी विधायकों पर बोला हमला
सियासत के माहिर खिलाड़ी रावत अब तक विपक्ष की हर कोशिश को नाकाम ही करते नजर आ रहे हैं। विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में विपक्ष ने स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के विरुद्ध लंबित अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी करने की कोशिश की, मगर विपक्ष की यह रणनीति भी सिरे नहीं चढ़ पाई।
अलबत्ता, सदन के भीतर जमकर हुए बवाल में संसदीय मार्यादाएं तार-तार जरूर हुईं। चुनावी आहट के बीच लगातार तेज होती मूछों की इस लड़ाई में कांग्रेस व भाजपा को जो कुछ हासिल हो, मगर प्रदेश व प्रदेश की जनता को शायद लंबे समय तक इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
पढ़ें-उत्तराखंडः मिल गई खजाने की चाबी, इस्तेमाल की चुनौती


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.