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उत्‍तराखंड में भी है कोणार्क, जानने को क्लिक करें

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा जनपद में कटारमल का सूर्य मंदिर स्थित है। इसका निर्माण राजा कटारमल्ल देव ने 1080-90 ई में कराया था। यह मंदिर वास्‍तुकला का अद्भुत नमूना है।

By sunil negiEdited By: Published: Fri, 15 Jul 2016 01:21 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jul 2016 05:00 AM (IST)
उत्‍तराखंड में भी है कोणार्क, जानने को क्लिक करें

देहरादून, [सुनील नेगी]: उत्तराखंड में सूर्य मंदिर। आपका दिमाग कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में सोच रहा है। लेकिन जनाब, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में भी सूर्य भगवान का मंदिर स्थित है। यह मंदिर नौ सौ साल पुराना है। यह अपने में गौरवशाली इतिहास समेटे हुए हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास
ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समिर्पत देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। अल्मोड़ा शहर से 17 किमी दूर स्थित यह मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर का परिसर 900 साल पुराना है, जबकि मुख्य मंदिर छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। हालांकि, यह प्राचीन तीर्थ स्थल आज एक खंडर में तब्दील हो चुका है, बावजूद इसके यह अल्मोड़ा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस मंदिर का निर्माण राजा कटारमल्ल देव ने 1080-90 ई में कराया था। यह बड़ादित्य के नाम के मंदिर से मशहूर है।

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मंदिर में बूटधारी सूर्य की है प्रमुख मूर्ति
मन्दिर में प्रमुख मूर्ति बूटधारी आदित्य (सूर्य) की है, जिसकी आराधना शक जाति में विशेष रूप से की जाती है। इन मंदिरों में सूर्य की दो मूर्तियों के अलावा विष्णु, शिव, गणेश की प्रतिमायें हैं। मंदिर के द्वार पर एक पुरुष की धातु मुर्ति भी है। कहते हैं कि यहां पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर में एक मूर्ति में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं। यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लंबी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है। यह मूर्ती 12वीं शताब्दी की बतायी जाती है। कोणार्क के सूर्य मंदिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रूप में दिखाई देती है। मंदिर की दीवार पर तीन पंक्तियों वाला शिलालेख है, जो अब अपाठ्य हो गया है।
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45 छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हैं मंदिर
यहां पर विभिन्न समूहों में बसे छोटे-छोटे मंदिरों के 45 समूह हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण अलग-अलग समय में हुआ माना जाता है। वास्तुकला की विशेषताओं और खंभों पर लिखे शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13वीं शती में हुआ माना जाता है। सूर्य मंदिर भवन में श्रद्धालु शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं देख सकते हैं। मंदिर अपने आप में वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है और यहां की दीवारों पर बेहद जटिल नक्काशी की गई है।



सूर्य की पहली किरण पड़ती हैं शिवलिंग पर
समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का सामने वाला हिस्सा पूर्व की ओर है। इसका निर्माण इस प्रकार करवाया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर में रखे शिवलिंग पर पड़ती है। मंदिर की दीवार पत्थरों से बनी है।
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यहां से चोरी हो गई थी देवी की मूर्ति
सूर्य मंदिर में लकड़ी का दरवाजे इनकी सुंदरता में और भी इजाफा कर देते हैं। 10वीं शताब्दी में यहां से देवी की मूर्ति चोरी हो गई थी। इसे देखते हुए मंदिर के नक्काशीयुक्त दरवाजे और चौखट को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया था।



ऐसे पहुंचे मंदिर तक
अल्मोड़ा-कौसानी मोटर मार्ग पर कोसी से ऊपर की ओर कटारमल गांव है और वहां पर सूर्य मंदिर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से रानीखेत मोटरमार्ग के रास्ते से जाना होता है। अल्मोड़ा से 14 किमी जाने के बाद 3 किमी पैदल चलना पड़ता है।

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