Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्‍तराखंड: पंचायत चुनाव लड़ना अब नहीं आसान

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Sun, 04 Sep 2016 05:08 PM (IST)

    राज्य में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नए अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक संपन्न कराए जाएंगे। इसमें पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कई सख्त प्रावधान हैं।

    देहरादून, [विकास धूलिया]: गत मार्च में राज्य विधानसभा में पारित उत्तराखंड पंचायत राज विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब अधिनियम के रूप में अस्तित्व में आ गया है। इन दिनों महकमा इसके लिए नियमावली को अंतिम रूप दे रहा है। अब तय हो गया है कि राज्य में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इसी अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक संपन्न कराए जाएंगे। नए अधिनियम में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कई सख्त प्रावधान कर दिए गए हैं। मसलन, आंगनबाड़ी, सहकारी समिति के सचिव एवं वेतनभोगी कर्मचारी तथा राज्य एवं केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी अब पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। जिनके घरों में शौचालय नहीं, वे भी पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होंगे।

    लंबी कवायद के बाद आखिरकार राज्य गठन के पंद्रह साल बाद उत्तराखंड को अपना पंचायत राज अधिनियम मिल ही गया। वर्तमान में लागू उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 (119 धाराएं) एवं उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम 1961 (274 धाराएं) को मिलाकर राज्य का अपना पंचायत राज अधिनियम तैयार किया गया है। इस अधिनियम में कुल 194 धाराओं का प्रावधान किया गया है। साथ ही कुल 194 खंडों को उपबंधित किया गया है। अधिनियम में छह भाग एवं 25 अध्याय शामिल किए गए हैं।

    अब तक लागू पंचायत राज व्यवस्था से इतर नए अधिनियम में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ना पहले के मुकाबले खासा कठिन कर दिया गया है। इस अधिनियम में चुनाव लड़ने वालों के लिए कई नए सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। मसलन, केंद्र या राज्य सरकार के नियंत्रण या स्वामित्व वाले किसी बोर्ड, निकाय या निगम के अधीन लाभ का पद धारण करने वाले व्यक्ति पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इनमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ती, सहायिका, सहकारी समिति के सचिव एवं वेतनभोगी कर्मचारी तथा राज्य एवं केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी भी शामिल होंगे।

    किसी महिला प्रधान, उप प्रधान एवं सदस्य के स्थान पर उसका पति या रिश्तेदार पंचायत की बैठक की अध्यक्षता या अन्य कार्य करता पाया जाता है और उस पर दोष साबित हो जाए तो वह महिला व उसके स्थान पर कार्य करने वाला व्यक्ति, दोनों ही अगले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाएंगे। यह प्रावधान क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों पर भी समान रूप से लागू होगा। इसके अलावा उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम में दो नए व महत्वपूर्ण प्रावधान और शामिल किए गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें- उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के सभी मामलों की हो न्यायिक जांचः किशोर

    पहला महत्वपूर्ण प्रावधान यह कि संबंधित पंचायत के क्षेत्र के अंतर्गत निवास करने वाले व्यक्तियों के घर में शौचालय नहीं होंगे, वे पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी के अयोग्य हो जाएंगे। दूसरा, यदि कोई व्यक्ति मैला ढोने वालों के नियोजन के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 में उल्लिखित अपराधों में सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी करार दिया जाता है तो वह भी पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेगा।

    पढ़ें-उत्तराखंड: द ग्रेट खली के 'दांव' से कांग्रेस को झटका

    उत्तराखंड पंचायत राज विधेयक अब बन गया है अधिनियम
    अपर सचिव एवं निदेशक ( पंचायती राज) सुशील कुमार ने कहा कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित उत्तराखंड पंचायत राज विधेयक अब अधिनियम बन गया है। इन दिनों इसके लिए नियमावली तैयार की जा रही है। अगले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इसी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संपन्न कराए जाएंगे।

    पढ़ें:-हरीश सरकार ने विधायकों को दी भ्रष्टाचार की छूट: हरक