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उत्तराखंड में पलायन आयोग का गठन, सीएम रहेंगे अध्यक्ष

पलायन की समस्या से निपटने के लिए उत्तराखंड में पलायन आयोग का गठन कर दिया गया है। इसके अध्यक्ष सीएम रहेंगे। इसके शासनादेश भी जारी कर दिए गए।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 16 Sep 2017 11:16 AM (IST)Updated: Sat, 16 Sep 2017 08:59 PM (IST)
उत्तराखंड में पलायन आयोग का गठन, सीएम रहेंगे अध्यक्ष
उत्तराखंड में पलायन आयोग का गठन, सीएम रहेंगे अध्यक्ष

देहरादून, [केदार दत्त]: पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में लगातार गहराती इस समस्या को लेकर राज्य सरकार गंभीर हुई है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप प्रदेश में पलायन आयोग का गठन कर दिया गया है। इस सिलसिले में आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि, आयोग किस प्रकार कार्य करेगा, इसे लेकर मंथन चल रहा है और शासन के मुताबिक जल्द ही विस्तृत आदेश निर्गत कर दिया जाएगा।

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राज्य में, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों से निरंतर पलायन एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। उम्मीद थी कि उत्तराखंड बनने के बाद इसकी रफ्तार थमेगी, लेकिन स्थिति में रत्तीभर भी बदलाव नहीं आया, बल्कि इसमें और तेजी आई है। 

अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 17 साल के दरम्यान तीन हजार से अधिक गांव खाली हो चुके हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर ही गौर करें तो ढाई लाख से अधिक घरों में ताले लटके हुए हैं।

यही नहीं, पलायन के चलते जहां गांव खाली हुए हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों पर जनसंख्या का दबाव बढ़ा है। इस सबको देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में पलायन आयोग के गठन का ऐलान किया था। इसके लिए पहले नियोजन विभाग कसरत कर रहा था, लेकिन फिर ग्राम्य विकास विभाग को नोडल विभाग बना दिया गया। अब आयोग का विधिवत गठन किया जा चुका है।

प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास मनीषा पंवार के मुताबिक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पलायन आयोग के गठन का आदेश निर्गत किया गया है। उन्होंने कहा कि आयोग के कार्य, सदस्य, विभागों से समन्वय समेत अन्य मसलों को लेकर मंथन चल रहा है और जल्द ही विस्तृत आदेश जारी कर दिया जाएगा।

नियोजन और दून विवि कर रहे शोध

निरंतर जारी पलायन को लेकर विभिन्न संस्थाओं ने शोध तो किए, लेकिन सरकार के स्तर से अभी तक इस दिशा में शोध अथवा अध्ययन नहीं हुए थे। अब राज्य का नियोजन विभाग और दून विश्वविद्यालय पलायन की समस्या, कारण और समाधान विषय पर शोध में जुटे हैं। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास के मुताबिक इनके शोध के नतीजों पर भी आयोग गौर करेगा। गौरतलब है कि हिमालय दिवस पर नौ व 10 सितंबर को दून में हुए उत्तराखंड सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन में भी पलायन का मसला प्रमुखता से उठा था।

पलायन की तस्वीर

-2.5 लाख से अधिक घरों में पहाड़ में लटके हैं ताले

-3000 गांव पिछले 17 सालों में हुए हैं खाली

-1.05 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि हो चुकी है बंजर में तब्दील

-30 परिवार हर गांव से कर रहे पलायन (गिरी संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार)

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