तेंदुए के हमले से बाल-बाल बची दो महिलाएं, दहशत में ग्रामीण
यमकेश्वर विकास खंड के अजमेर पट्टी तेंदुए का आतंक बना हुआ है। अलग-अलग स्थानों पर तेंदुए ने दो महिलाओं पर हमला किया। दोनों ही बाल-बाल बच गई।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: यमकेश्वर विकास खंड के अजमेर पट्टी डांडा मंडल के देवराणा गांव में तीन वर्षीय बालक को निवाला बनाने वाले तेंदुए की दहशत बनी हुई है। अलग-अलग जगह पर दो महिलाएं तेंदुए के हमले में बाल बाल बची। वहीं तेंदुए को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे में रखे कुत्ते को तेंदुआ मार चुका है। दहशत के चलते लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। शाम होते ही लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं।
यमकेश्वर के देवराणा गांव में 26 जनवरी की शाम घर के आंगन में खेल रहे अमरीश देवरानी के तीन वर्षीय पुत्र अभिषेक को तेंदुआ उठाकर ले गया था। अगले दिन बच्चे का शव खेत से मिला मिला था। घटना के बाद भी उक्त स्थान पर तेंदुए को देखा गया। लालडांग रेंज के अधिकारियों ने गांव में उसे पकड़ने के लिए दो पिंजरे और पांच कैमरे लगाए गए हैं।
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वन विभाग ने क्षेत्र में सशस्त्र गश्त भी शुरू कराई है। मगर तेंदुए का आतंक बना हुआ है। गांव के कई मवेशियों को तेंदुआ मार चुका है। देवराणा गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर आवई ग्रामसभा के चुपड़ गांव में कंठेश्वर डबराल की पत्नी शोभा देवी पर तेंदुए ने हमला कर दिया, लेकिन वह बाल-बाल बची।
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देवराणा के प्रधान मुकेश देवरानी ने बताया कि देवराणा में ही 61 वर्षीय कांति देवी जब बरामदे की लाइट बंद करने आई तो अचानक सामने तेंदुआ आ गया। महिला ने घर के अंदर भागकर जान बचाई।
उदयपुर मंडल के पूर्व महासचिव सतेश्वर जोशी ने बताया कि देवराणा के पड़ोसी गांव कचुंडा में भी तेंदुआ देखा गया। तेंदुए ने जिस स्थान पर बच्चे का शव छोड़ा था, वहां पर एक पिंजरा लगाया गया है। पिंजरे के दूसरे हिस्से में कुत्ता बांधा गया था।
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बीती रात तेंदुआ पिंजरे के पीछे की तरफ गया और अंदर पंजे मारकर कुत्ते को मार दिया। ऐसे में तेंदुए की दहशत के चलते लोग अंधेरा होने से पहले घर में कैद होने को मजबूर हैं। हालत यह है कि दिन में भी ग्रामीण अकेले नहीं निकल रहे हैं। लोग बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
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प्रत्याशी भी डरे
विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों का जनसंपर्क अभियान गांव-गांव में चल रहा है। देवराणा गांव में भी प्रत्याशी वोट मांगने आ रहे हैं। कार्यकर्ताओं के झुंड में आने वाले प्रत्याशी यह सोच कर आश्वस्त हैं कि वह अकेले नहीं हैं। मगर बड़ी बात यह है कि चुनाव लड़ रहे नेता लोग भी दिन के उजाले में चुनाव प्रचार करने को मजबूर हो गए हैं। उनके पास भी आश्वासन ही बचे हैं।
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