उत्तराखंडः हाई कोर्ट में तारीख एक हफ्ता बाद होने से विधायकों को सहेजना चुनौती
नैनीताल हाइकोर्ट की डिविजन बेंच की ओर से सिंगल बेंच के विधानसभा में शक्ति परीक्षण को फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश पर रोक लगाने और सुनवाई के लिए लगभग एक हफ्ते बाद की तारीख मुकर्रर करने से कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टियों की परेशानी बढ़ गई है।
विकास धूलिया, देहरादून। उत्तराखंड की सियासत में पिछले ग्यारह दिनों से चल रहे घमासान के पटाक्षेप के फिलहाल कोई आसार नहीं। नैनीताल हाइकोर्ट की डिविजन बेंच की ओर से सिंगल बेंच के विधानसभा में शक्ति परीक्षण को फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश पर रोक लगाने और सुनवाई के लिए लगभग एक हफ्ते बाद की तारीख मुकर्रर करने से कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टियों की परेशानी बढ़ गई है।
फ्लोर टेस्ट के लिए देहरादून में एकत्र किए गए विधायकों को अब कम से कम एक हफ्ता और सहेजे रखना दोनों पार्टियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। उधर, पिछले लगभग तीन सप्ताह से घर-परिवार से दूर रह रहे विधायक भी घटनाक्रम के नित नए मोड़ लेने से कम हैरान नहीं हैं।
गुजरी 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पारित कराए जाने के दौरान हुए हंगामे में कांग्रेस के नौ विधायकों ने बगावत कर दी और तब से चल रहा घमासान अब भी नहीं थमा है।
बदले राजनैतिक परिदृश्य में 71 सदस्यीय विधानसभा में एक-एक विधायक की अहमियत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों को ही अपने-अपने किले में सेंधमारी की आशंका सता रही है।
बगावत के बाद कांग्रेस में 28 विधायक रह गए। इनके अलावा छह गैर कांग्रेस विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं। भाजपा के एक निलंबित विधायक भी कांग्रेस खेमे में हैं। यानी, कांग्रेस के पास सब मिलाकर 35 विधायक हैं, जो बहुमत के 36 के आंकड़े से एक कम है।
उधर, भाजपा के पास यूं तो 28 विधायकों का संख्या बल है, लेकिन एक विधायक के कांग्रेस के पाले में होने से यह आंकड़ा 27 पर आ गया है। अब भाजपा का भरोसा कांग्रेस के वे नौ बागी विधायक हैं, जिनकी सदस्यता स्पीकर ने दलबदल कानून के तहत रद कर दी है और मामला फिलहाल हाइकोर्ट में है।
अगर इन नौ बागियों की सदस्यता बहाल हो जाती है तो भाजपा 36 तक पहुंच जाएगी, यानी बहुमत उसके पक्ष में हो जाएगा। इसके अलावा भाजपा इस भरोसे भी है कि 2014 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज के निकट समझे जाने वाले लगभग आधा दर्जन विधायकों को कोशिश कर अपने पाले में खींचा जा सकता है।
अगर ऐसा मुमकिन हुआ तो कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता रद होने के बावजूद भाजपा आंकड़ों के खेल में कांग्रेस को पीछे छोड़ सकती है।
साफ है कि मौजूदा राजनैतिक परिस्थितियों में दोनों ही पार्टियों के लिए एक-एक विधायक अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। यही वजह है कि 18 मार्च को कांग्रेस में बगावत के तत्काल बाद आधी रात को भाजपा के सभी विधायक और कांग्रेस के नौ बागी विधायक दिल्ली उड़ गए।
इन्होंने कुछ दिन गुडग़ांव के एक होटल में गुजारे तो होली जयपुर में मनाई। कांग्रेस के बागी विधायक दिल्ली में ही रुके रहे। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को सहेजे रखने के लिए यही अस्त्र आजमाया और अपने खेमे के सभी विधायकों को रामनगर के निकट एक रिजार्ट में ठहरा दिया।
राज्यपाल द्वारा 28 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने के निर्देश के मद्देनजर दोनों ही पार्टियों के विधायक 27 मार्च को देहरादून लौटे। इधर हालात ने ऐसी पलटी मारी कि 27 मार्च को ही उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया।
इससे दोनों पार्टियों के आलाकमान और विधायकों ने राहत की सांस ली और अधिकांश विधायक अपने-अपने घरों को लौट गए। इनमें से शायद अधिकांश घर पहुंचे भी नहीं कि मंगलवार को नैनीताल हाइकोर्ट के 31 मार्च को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के आदेश आ जाने पर सभी को वापस देहरादून लौटना पड़ा।
उन्हें बुधवार को देहरादून के नजदीक सेलाकुई में एक रिजार्ट में इकट्ठा किया गया, जहां पार्टी महामंत्री कैलाश विजय वर्गीय तथा प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने उनकी बैठक ली।
यही स्थिति कांग्रेस और उसके खेमे के अन्य विधायकों की रही। कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी ने बुधवार को देहरादून पहुंचते ही एक होटल में अपने विधायकों की बैठक ली।
दरअसल, गत नौ मार्च से आरंभ हुए विधानसभा सत्र के बाद से दूरदराज के विधायक अब तक अपने क्षेत्र में नहीं लौट पाए हैं। पार्टी नेतृत्व हॉर्स ट्रेडिंग से बचने के लिए सभी विधायकों को नजरों के सामने रखने की रणनीति अख्तियार किए हुए हैं।
अलबत्ता, बुधवार शाम नैनीताल हाइकोर्ट की डिविजन बेंच द्वारा सिंगल बेंच के 31 मार्च के फ्लोर टेस्ट के आदेश पर रोक लगा देने से विधायकों को जरूर कुछ राहत मिल गई। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों ने फिलहाल घटनाक्रम के अगला मोड़ लेने तक घर जाने की छूट दे दी है। सेलाकुई रिजार्ट से अधिकांश भाजपा विधायक और देहरादून के होटल से कांग्रेस विधायक देर शाम घरों को चले गए थे।
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