हिमालय दिवस: केंद्र और राज्य सरकारों के नजरिए में आया बदलाव
हिमालय को लेकर राज्य के साथ केंद्र सरकार भी संजीदा है। यही वजह है कि अब हिमालय के संरक्षण के लिए सभी आगे आ रहे हैं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: बात समझने में भले ही सात साल का वक्त लग गया हो, लेकिन अब सियासत समझ चुकी है कि हिमालय के संरक्षण की राह यहां के निवासियों के हितों की रक्षा से होकर गुजरती है। उत्तराखंड और केंद्र सरकार के नजरिए में आए बदलाव से तो यही संकेत मिल रहे हैं। राज्य सरकार ने हिमालय से जुड़े तीन अहम सवालों पर फोकस करने की ठानी है तो केंद्र सरकार भी हिमालय के विषय को समझने के लिए हिमालय अध्ययन केंद्र की बात कह चुकी है। हालांकि, जानकारों की माने तो विषम भूगोल और परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड समेत सभी 11 हिमालयी राज्यों के लिए प्रभावी नीति बनाकर धरातल पर उतारना समय की मांग है।
प्रदेश की मौजूदा सरकार हिमालय को लेकर अधिक संजीदा नजर आ रही है। यही वजह है कि उसने इस बार हिमालय से जुड़ी तीन अहम चुनौतियों पलायन, आजीविका और आपदा पर फोकस किया है। ये ऐसे प्रश्न हैं, जिनका समाधान चुनौती बना हुआ है। हालांकि, सरकार की ओर से होने राज्यस्तरीय शिखर सम्मेलन में इससे निबटने के लिए कैसे आगे बढ़ा जाए, इसके लिए विशेषज्ञ मंथन करेंगे। सरकार के मुताबिक सम्मेलन के निष्कर्ष न सिर्फ नीति में शामिल होंगे, बल्कि केंद्र सरकार को भी इस बारे में जानकारी देकर उसकी मदद ली जाएगी। सरकार की मानें तो इन अहम मसलों के बाद अन्य सवालों पर भी फोकस किया जाएगा।
वहीं, केंद्र सरकार ने भी उत्तराखंड से उठी हिमालय की आवाज को स्वीकारा है। इस कड़ी में नीति आयोग ने भी पूर्व में माना कि हिमालयी क्षेत्रों के विकास का मॉडल अलग से बनाने के लिए नीति आवश्यक है। यही नहीं, केंद्र ने हिमालय के लिए अध्ययन केंद्र खोलने की भी बात कही है। और तो और केंद्र सरकार ने हिमालयी क्षेत्रों पर खास ध्यान देने की बात भी कही है। राज्य और केंद्र सरकारों के नजरिये में आया यह बदलाव शुभ संकेत माना जा रहा है।
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