हिमालय दिवस पर शिखर सम्मेलन: पलायन, आपदा और आजीविका पर होगा मंथन
हिमालय दिवस पर शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें पलायन, आजीविका और आपदा के मुद्दे पर मंथन किया जाएगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष पहल 'संकल्प से सिद्धि' को राज्य सरकार ने हिमालय दिवस से भी जोड़ा है। इस कड़ी में नौ और 10 सितंबर को होने वाले 'उत्तराखंड सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन' में तीन सबसे अहम मसलों पलायन, आजीविका और आपदा प्रबंधन पर मुख्य रूप से मंथन होगा। काबीना मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के अनुसार सम्मेलन से आने वाले निष्कर्षों को न सिर्फ नीति में शामिल किया जाएगा, बल्कि केंद्र सरकार को भी इस बारे में अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब चुनौतीपूर्ण रहे इन विषयों को सरकार सिद्धि तक ले जाएगी।
विधानसभा स्थित सभाकक्ष में संवाददाताओं से बातचीत में कैबिनेट मंत्री कौशिक ने नियोजन विभाग की ओर से हिमालय दिवस पर होने वाले शिखर सम्मेलन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड में पलायन, आजीविका और आपदा की चुनौतियों से निबटने के प्रयास तो हुए, मगर वैसे नहीं जिनकी दरकार है। हालांकि, मौजूदा सरकार ने अपने पांच माह के कार्यकाल में ही इस दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ाए हैं। अब हिमालय दिवस पर विशेषज्ञ इन मसलों के निदान की दिशा में और क्या-क्या हो सकता है, क्या रणनीति होनी चाहिए सहित अन्य बिंदुओं पर राय देंगे। इससे राह और आसान होगी। उन्होंने बताया कि राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन हरिद्वार बाइपास स्थित होटल में होगा, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत करेंगे।
हिमालयी राज्यों की अगुआई करेगा उत्तराखंड
हिमालय की पीड़ा को बड़े फलक पर उठाने के लिए हिमालय दिवस की शुरुआत उत्तराखंड से ही हुई। इसे देखते हुए सरकार ने पहले इस मर्तबा हिमालय दिवस पर हिमालयी राज्यों का सम्मेलन करने की ठानी थी, लेकिन इसके उद्घाटन को प्रधानमंत्री का वक्त नहीं मिल पाया। नतीजतन, सम्मेलन को राज्य स्तर तक सीमित कर दिया गया। इस संबंध में पूछने पर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि हम चाहते हैं कि उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों के लिए अलग नीति बने। इसकी अगुआई करने की क्षमता उत्तराखंड के पास है और वह करेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही हिमालयी राज्यों का सम्मेलन यहां होगा और इसकी तैयारी के लिए हमें वक्त भी मिल गया है।
पांच साल में पूरा होगा मेट्रो का सपना
काबीना मंत्री कौशिक ने कहा कि देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश के बीच मेट्रो के प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य चल रहा है। इसकी डीपीआर का जिम्मा दिल्ली मेट्रो को सौंपा गया है। डीपीआर मिलने पर देखा जाएगा कि पहले चरण में कौन सा फेज सही रहेगा। सरकार की कोशिश है कि यह सौगात उसके इसी कार्यकाल में हासिल हो जाए।
प्लास्टिक कचरे का करेंगे उपयोग
एक सवाल पर काबीना मंत्री ने कहा कि प्लास्टिक-पॉलीथिन कचरा एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। इसके निदान की दिशा में प्लास्टिक से ऊर्जा बनाने का प्लांट रुड़की में विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा पॉलीथिन का उपयोग सड़कों के डामरीकरण में वृहद स्तर पर किया जाएगा।
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