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    भारतीय सैन्य अकादमी के लिए ऐतिहासिक अनुभूति

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 23 Jan 2017 06:30 AM (IST)

    यूं तो भारतीय सैन्य अकादमी हर छह माह में भव्य पासिंग आउट परेड और सालभर कई छोटे-बड़े आयोजन का गवाह बनता है, पर संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस का आयोजन अपने आप में एक ऐतिहासिक अनुभूति है।

    भारतीय सैन्य अकादमी के लिए ऐतिहासिक अनुभूति

    देहरादून, [जेएनएन]: देश के भावी सैन्य अफसरों के ‘गुरुकुल’ भारतीय सैन्य अकादमी को 85 बरस होने वाले हैं। यहां से निकलकर करीब साढ़े 59 हजार कैडेट भारतीय सेना में अफसर बन चुके हैं। यूं तो यह संस्थान हर छह माह में भव्य पासिंग आउट परेड और सालभर कई छोटे-बड़े आयोजन का गवाह बनता है। लेकिन संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस का आयोजन अपने आप में एक ऐतिहासिक अनुभूति है। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख एकसाथ यहां जुटे।

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    वर्ष 1932 में मात्र चालीस कैडेट के साथ आइएमए का सफर शुरू हुआ। अब तक यह कई ऐतिहासिक लम्हों का गवाह बना है। विगत वर्षो में देश के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री तक और कई अन्य देशों के सेना व राष्ट्राध्यक्ष पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते रहे हैं।

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    बावजूद इसके यह मौका इसलिए खास बन गया क्योंकि तीनों सेना प्रमुखों के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ ही आर्मी ट्रेनिंग कमांड, मध्य कमान, पूर्वी कमान, उत्तरी कमान, दक्षिण कमान, पश्चिमी कमान, दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुख एक वक्त पर अकादमी में मौजूद थे।

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    ये भी हुए शामिल: आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, एयर चीफ मार्शल बिरेंद्र सिंह धनाओ, चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल सुनील लांबा, ईस्टर्न आर्मी कमांडर ले. जन. प्रवीन बख्शी, नार्दर्न आर्मी कमांडर ले. जन. देवराज अंबु, वेस्टर्न आर्मी कमांडर ले. जन. सुरेंद्र सिंह, सेंट्रल आर्मी कमांडर ले. जन. बलवंत सिंह नेगी, ट्रेनिंग कमांडर ले. जन. डीआर सोनी।

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