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    केदारनाथ में बन रहे घाट को वैज्ञानिकों ने बताया खतरा, पढ़ें खबर..

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 29 Apr 2016 09:40 AM (IST)

    केदारनाथ मंदिर से करीब 500 मीटर पहले मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर बन रहे घाट को वैज्ञानिकों ने सुरक्षा के लिहाज से खतरा बताया है। वाडिया हिमालय भ ...और पढ़ें

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    सुमन सेमवाल, देहरादून। केदारनाथ मंदिर से करीब 500 मीटर पहले मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर बन रहे घाट को वैज्ञानिकों ने सुरक्षा के लिहाज से खतरा बताया है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेते हुए घाट को नदी के मध्य में पाया। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि घाट को पीछे खिसकाया जाए।
    हाल ही में वीडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान समेत विभिन्न शोध संस्थानों ने वित्त सचिव अमित नेगी, अपर सचिव आपदा सी रविशंकर व आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला साथ केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया।
    निरीक्षण में शामिल संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम गुप्ता के अनुसार जिस तरह से जून 2013 में केदारघाटी ने जल प्रलय ङोली, उसे देखते हुए मंदाकिनी नदी को हर हाल अवरोध मुक्त रखने की जरूरत है।
    उन्होंने आशंका व्यक्त की कि इसके निर्बाध प्रवाह में मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम में बन रहा घाट बाधा बन सकता है। उन्होंने इसे नदी के किनारे की तरफ खिसकाने की सलाह दी। ताकि नदी में किसी प्राकृतिक घटना के चलते जल प्रवाह बढ़े तो पानी में कम से कम अवरोध पैदा हो।
    डॉ. गुप्ता के अनुसार केदारनाथ मंदिर के प्रवेश मार्ग की बायीं तरफ वाले हिस्से को खाली किया जाना चाहिए। यहां पर पुराने भवनों के कुछ ध्वस्त ढांचे खड़े हैं।
    वहीं, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के हिमनद विशेषज्ञ डॉ. डीपी डोभाल ने पाया कि आपदा के बाद जमा हुए मलबे के ढेर अभी भी नाजुक स्थिति में हैं। जो बर्फ जमने या अधिक नमी की स्थिति में खिसक सकते हैं।
    उन्होंने सलाह दी कि मंदिर के आसपास किसी भी सूरत में भारी प्रकृति के निर्माण न किए जाएं। डॉ. डोभाल के अनुसार मलबे से बनी मिट्टी को कठोर धरातल का रूप लेने में अभी बड़ा वक्त लग जाएगा।
    आंतरिक जल निकासी हो मजबूत
    वाडिया संस्थान के विज्ञानियों ने आपदा से कमजोर पड़ चुकी मिट्टी की सतह को नुकसान से बचाने के लिए आंतरिक जल निकासी व्यवस्था को बेहतर बनाने पर बल दिया। वैज्ञानिकों के अनुसार सरकार जहां टेंट अन्य निर्माण करा रही है, उन सभी क्षेत्रों में जल निकासी के इंतजाम ऐसे हों कि पानी सीमित क्षेत्र से ही गुजरे।

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