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    चीन-पाक पर दिए बयान पर जनरल बिपिन रावत कायम

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 10 Sep 2017 08:35 PM (IST)

    थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि मैं अपने बयान पर कायम हूं, रही बात चीनी सरकार के प्रवक्ता गेंग शुआंग की प्रतिक्रिया की तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

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    चीन-पाक पर दिए बयान पर जनरल बिपिन रावत कायम

    देहरादून, [जेएनएन]: थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने भारत को दोहरे मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार रहने संबंधी बयान को दोहराया। जनरल रावत ने कहा कि 'मैं अपने बयान पर कायम हूं, रही बात चीनी सरकार के प्रवक्ता गेंग शुआंग की प्रतिक्रिया की तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।' गौरतलब है कि चीनी प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया था यह बयान जनरल बिपिन रावत का स्वयं का है या भारत सरकार की भी इसमें सहमति है। इसको लेकर पूछे सवाल के जवाब में जनरल रावत ने सिर्फ इतना कहा कि मैं दोबारा इस बात को दोहरा रहा हूं। 

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    शनिवार को थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत देहरादून स्थित अपने पुराने स्कूल कैंब्रियन हॉल पहुंचे तो स्कूल ब्लेजर पहन पुराने दिनों की याद ताजा करना नहीं भूले। मौका था स्कूल के वार्षिकोत्सव और पुरस्कार वितरण समारोह का। बाद में उन्होंने देश के सुरक्षा मामलों को लेकर पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत भी की। 

    जनरल रावत ने डोकलाम में चीनी सैनिकों के पीछे हटने को भारत की रणनीतिक व सैन्य शक्ति दोनों की जीत बताया। साथ ही कहा कि सीमा पर इस तरह के तमाम संवेदनशील स्थानों पर सेना लगातार नजर रखे हुए है। 

    कश्मीर में आतंकी हमलों के जारी रहने के सवाल पर थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि हम घाटी में अमन-चैन चाहते हैं। सेना हर लिहाज से इस प्रयास में जुटी है। आतंकी घटनाओं को लेकर तमाम ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। कोई भी पड़ोसी देश सीमा पर जैसी प्रतिक्रिया देगा, उसका जवाब दोगुनी शक्ति से दिया जा रहा है।

    पूर्णकालिक रक्षा मंत्री मिलना सुखद

    जनरल बिपिन रावत ने पूर्णकालिक रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण को जिम्मेदारी मिलने को सुखद बताया। उन्होंने कहा कि इससे सेना व रक्षा मंत्रालय के बीच में सामंजस्य बढ़ेगा और देश की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।

    सरकार का सेना पर दबाव नहीं

    थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने सेना को सरकार की ओर से सहयोग पर पूछे गए सवाल पर कहा कि सरकार का सेना पर कोई दबाव नहीं है। सेना को निर्णय लेने के लिए मुक्त रखा गया है। ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि सरकार ने सेना की मंशा के इतर कोई निर्णय लिया हो।  

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