डीआरडीओ देहरादून की बदौलत हाई पावर लेजर से खाक होगा दुश्मन का ड्रोन
दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही खाक करने में सक्षम हाई पावर लेजर बीम तकनीक से अब भारतीय सेना भी लैस हो पाएगी।
देहरादून। दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही खाक करने में सक्षम हाई पावर लेजर बीम तकनीक से अब भारतीय सेना भी लैस हो पाएगी। अभी सिर्फ अमेरिका व चीन के पास ही यह तकनीक उपलब्ध है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के देहरादून स्थित यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) ने हाई पावर लेजर बीम तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया है। तीन साल के भीतर इस पर काम पूरा कर लिया जाएगा।
आइआरडीई के निदेशक डॉ. एसएस नेगी के अनुसार हाई पावर लेजर बीम को डीआरडीओ की हैदराबाद स्थित एक अन्य लैब सेंटर फॉर हाई इनर्जी सिस्टम एंड साइंसेज की मदद से तैयार किया जा रहा है। तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बेहद उच्च क्षमता की लेजर किरण निकलती है, जिससे दुश्मन के ड्रोन को पलभर में खाक बनाया जा सकता है।
यही नहीं जब लेजर किरण टारगेट को उड़ाने के लिए निकलेगी तो पूरी अदृश्य रहेगी, जिससे यह दुश्मनों को नजर भी नहीं आती है। यानी दुश्मन यह नहीं भांप पाएंगे उनके ड्रोन पर हमला होने वाला है या हमला कहां से हुआ।
हाई पावर लेजर बीम की क्षमता पांच किलोमीटर दूरी तक होगी। जमीन से इस दूरी तक यह किसी भी ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है। डॉ. नेगी ने बताया कि लेजर बीमा का विकास मेन इन इंडिया के तहत पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर किया जा रहा है। सेना इस अचूक हथियार को लेकर खासी उत्साहित है। प्रयास किए जा रहे हैं कि लेजर बीम तय समय से भी पहले सेना को मिल सके।
20 किलोवाट तक की होगी ऊर्जा
आइआरडीई के वैज्ञानिकों के अनुसार हाई पावर लेजर बीम में 20 किलोवाट तक की ऊर्जा होगी। ड्रोन जितनी अधिक दूरी पर होगा, उतनी ही अधिक क्षमता की लेजर बीम उस पर छोड़ी जाएगी। कम दूरी पर लेजर बीम की ऊर्जा अनुपातिक रूप से कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए यदि कोई ड्रोन 500 मीटर की दूरी पर उड़ रहा है तो एक किलोवाट की लेजर बीम से उसे नष्ट किया जा सकेगा।
अमेरिका-चीन के पास भी तकनीक का विकास नहीं
अमेरिका व चीन ने भले ही भारत से पहले हाई पावर लेजर बीम तकनीक ईजाद कर ली हो, मगर अभी वहां तकनीक का विकास अंतिम स्तर पर नहीं पहुंचा है। ऐसे में संस्थान के वैज्ञानिक स्वदेशी तकनीक को उनसे बेहतर बनाने में जुटे हैं।
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