उत्तराखंड: सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टरों पर अभी संशय
सरकार की सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टर लेने की मंशा अभी तक परवान नहीं चढ़ पाई है। इनके मानदेय संबंधी पत्रावली अभी तक वित्त महकमे में ही अटकी हुई है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सरकार की पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने को सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टर लेने की मंशा अभी तक परवान नहीं चढ़ पाई है। इन डॉक्टरों से आवेदन लिए दो माह से अधिक का समय हो चुका है। बावजूद इसके इनकी तैनाती को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। इनके मानदेय संबंधी पत्रावली अभी तक वित्त महकमे में ही अटकी हुई है।
सरकार ने प्रदेश में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टर लेने का निर्णय लिया था। मंशा यह जताई गई कि इन डॉक्टरों को चारधाम यात्रा मार्ग के अलावा अहम पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टरों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। विभाग को 120 सेवानिवृत्त डॉक्टरों की ओर से आवेदन मिले। इनमें जनरल फिजिशियन से लेकर हड्डी विशेषज्ञ, महिला विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, सर्जन के अलावा तकनीकी और फिजियोथेरेपिस्ट आदि ने भी आवेदन किया था। आवेदनों के आधार पर सरकार ने इन्हें सेवा में लेने की उम्र 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष भी की। आवेदन करने वाले डॉक्टर अलग-अलग अनुभव व श्रेणियों के हैं, ऐसे में इनका अलग-अलग वेतन निर्धारित किया जाना है। इसके लिए सरकार ने पहले 70 हजार से लेकर 1.20 लाख तक के चार वेतन बैंड बनाए थे। इस पर डॉक्टरों ने इसे बढ़ाने का अनुरोध किया था। अब इनमें फिर से संशोधन करते हुए इन्हें नए सिरे से वित्त विभाग को भेजा गया है।
हालांकि, इसमें एक पेंच और फंस रहा है। दरअसल, विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में पूरी सुविधा नहीं है ऐसे में इन्हें मैदानी जिलों में ही तैनात करना पड़ेगा। इससे सरकार की मंशा फलीभूत नहीं होगी। फिलहाल, यह मामला वित्त के पास है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।
यह भी पढ़ें: लोनिवि के 1200 वर्कचार्ज कर्मचारियों को मिलेगी पेंशन
यह भी पढ़ें: नई केदारपुरी के निर्माण कार्यों को उत्तराखंड कैबीनेट की मंजूरी