भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को कांग्रेस ने बनाया मुद्दा, केंद्र की घेराबंदी
भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को लेकर सियासत गरमाने लगी है। कांग्रेस इसे सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गई है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को चुनाव के मौके पर सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है। राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल इस मामले में केंद्र सरकार के साथ ही एनजीटी के फैसलों की मुखालफत करेंगे। इको सेंसिटिव जोन पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस मामले में पांच जनवरी को दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने समर्थन दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि इस मामले में केंद्र जिस तरह राज्य पर फैसले को थोप रहा है, उससे संघीय व्यवस्था को चोट पहुंच रही है। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर दोहराया कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का राजनीति से लेना-देना नहीं है। उन्होंने आवाज नहीं उठाई तो जनता को हमेशा शिकायत रहेगी।
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प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि इको सेंसिटिव जोन पर राज्य सरकार की ओर से केंद्र को सुझाव दिए गए, लेकिन इन सुझावों को राज्य को विश्वास में लिए बगैर ही खारिज किया गया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से एनजीटी में प्रभावी पैरवी नहीं किए जाने के सवाल को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पैरवी का जिम्मा मुख्य सचिव एस रामास्वामी को सौंपा था।
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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इको सेंसिटिव जोन का फैसला पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन वर्ष 2013 की आपदा के चलते इसमें जन सुनवाई का पूरा मौका नहीं मिल सका। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार ने यह मौका नहीं दिया। उन्होंने उत्तराखंड के अंतर्गत हिमालयी क्षेत्र में तमाम वॉटर बॉडीज को राज्य को सौंपने की पैरवी की।
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उन्होंने कहा कि वॉटर बॉडीज पर राज्य का अधिकार होना चाहिए। जंगलों पर स्थानीय आबादी के हक-हकूक खत्म किए गए हैं। इस मामले को वह कांग्रेस के राष्ट्रीय एजेंडे में शामिल कराने का प्रयास भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गांवों से पलायन रोकने को ग्रामीणों को वृक्षारोपण के लिए बोनस मिलना चाहिए।
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उधर, राजीव भवन पहुंचे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने इको सेंसिटिव जोन के बारे में सही वक्त पर सही बात कही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्रावधानों के चलते गांवों में विकास बाधित हो गया है। बिजली और पानी की समस्या बनी हुई है। केंद्र सरकार का यह कदम राज्य में विकासबंदी का है। अगर वह इस संबंध में आवाज नहीं उठाते तो जनता को शिकायत रहेगी।
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वह अपना कर्तव्य निभाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को भी कांग्रेस संगठन से सबक लेते हुए कदम उठाने चाहिए। राज्य के व्यापक हित में ये मुद्दा उठना चाहिए। देवप्रयाग के समीप शराब बॉटलिंग प्लांट लगाए जाने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर शराब का प्लांट लगाने को अनुमति नहीं मिलेगी। बॉटलिंग प्लांट राज्य की नीति का हिस्सा हैं, लेकिन यात्रा मार्ग पर इसके लिए स्थान नहीं है।
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