Move to Jagran APP

उत्तराखंडः बदले हालात में कांग्रेस-भाजपा की फिर कदमताल

सुप्रीम कोर्ट के उत्तराखंड में झारखंड फार्मूला अपनाकर फ्लोर टेस्ट कराने के संकेत के बीच सियासी दलों ने एक बार फिर जोर आजमाइश के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 04 May 2016 12:25 PM (IST)Updated: Thu, 05 May 2016 09:00 AM (IST)
उत्तराखंडः बदले हालात में कांग्रेस-भाजपा की फिर कदमताल

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के उत्तराखंड में झारखंड फार्मूला अपनाकर फ्लोर टेस्ट कराने के संकेत के बीच सियासी दलों ने एक बार फिर जोर आजमाइश के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय व अनिल बलूनी की मौजूदगी में रणनीति तैयार की जा रही है, जबकि कांग्रेस पीडीएफ समेत सभी विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में जुट गई है। कांग्रेस की ओर से निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत मोर्चा संभाल रहे हैं।
आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जिस तरह के संकेत मिले हैं, उससे यह संभावना प्रबल हो गई है कि उत्तराखंड में बहुमत का फैसला फ्लोर टेस्ट से ही होगा। हालांकि इसमें झारखंड फार्मूला अपनाने के संकेत मिले हैं। यदि ऐसा होता है सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में ही फ्लोर टेस्ट होगा।
सुप्रीम कोर्ट से मिले इन संकेतो के बाद उत्तराखंड में सियासी पारा चढ़ गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि भाजपा फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है। 19 मार्च को भी भाजपा ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी।
वहीं, कांग्रेस भी लगातार फ्लोर टेस्ट की मांग करती रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत तमाम आला प्रांतीय नेता फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकाल रहे हैं। निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट जो भी आदेश देगा, कांग्रेस उसका पालन करेगी।
फ्लोर टेस्ट के संकेतों के बीच भाजपा ने भी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। हालांकि भाजपा संख्या बल को लेकर सशंकित है, लेकिन उसे विधायकों की अंतरआत्मा की आवाज पर मत देने का कहीं न कहीं भरोसा है। यही स्थिति कांग्रेस को असमंजस में डाले हुए हैं। कांग्रेस शुरू से ही बहुमत में होने का दावा करती रही, लेकिन अब कांग्रेस पूरी तरह से पीडीएफ पर ही निर्भर नजर आ रही है।
उत्तराखंड में बहुमत साबित करने का समीकरण फिलहाल काफी उलझा हुआ है। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों का मामला हाई कोर्ट की एकलपीठ में विचाराधीन है और इस मामले में कल पांच मई से सुनवाई शुरू होनी है।

loksabha election banner

पढ़ें-फ्लोर टेस्ट को लेकर सक्रिय हुई भाजपा, केंद्रीय नेता पहुंचे दून, पढ़ें...
भाजपा के निलंबित विधायक भीमलाल आर्य की सदस्यता रद करने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने जो फैसला किया है, उससे भाजपा को झटका लगा है। कुंजवाल ने भाजपा की सदस्यता रद करने वाली अर्जी खारिज कर दी है। अब इस मामले में भाजपा हाई कोर्ट में जाने की तैयारी में है।
प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिव फ्रंट (पीडीएफ) के विधायक कांग्रेस के साथ एकजुट खड़े हैं। ऐसे में सियासी समीकरण किस दिशा में करवट लेंगे, इसका काफी हद तक दारोमदार बागी विधायकों के मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
यदि 71 सदस्यों की संख्या पर बहुमत साबित करने का गणित बना तो कांग्रेस के पास बागियों को हटाकर 27 विधायक हैं। यदि नौ बागी कांग्रेस के साथ जोड़ दिए जाएं तब संख्या 36 की बनती है। भाजपा के पास निलंबित एक विधायक समेत 28 की संख्या है। बसपा के पास दो, उक्रांद के पास एक और तीन निर्दलीय विधायक हैं। बसपा, उक्रांद और निर्दलीय पीडीएफ के बैनर तले एकजुट हैं। इस तरह पीडीएफ के पास छह विधायक हैं। यदि छह विधायक कांग्रेस के साथ खड़े होते हैं तब भी कांग्रेस की संख्या बागियों को हटाकर 33 ही बनती है।
ऐसे में बागियों की स्थिति अपनेआप में बहुमत का खेल बनने व बिगाड़ने में अहम होगी। बागियों को मतदान का मौका मिलेगा या नहीं मिलेगा, इस सवाल का जवाब आना बाकी है। यदि बागियों की सदस्यता बहाल नहीं होती है तो कांग्रेस के लिए बहुमत साबित करने की राह आसान होगी। ऐसे में भाजपा को बड़ा सियासी झटका लग सकता है।
कुल मिलाकर सदन की तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं है। बागियों को लेकर हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि कितने सदस्यों के सदन में बहुमत साबित करने की चुनौती रहेगी। एक तरह से पूरा मामला एक पहेली में उलझा हुआ है। इस पहेली को हल करने के लिए बागियों का मसला हल होना जरूरी है।
पढ़ें-फ्लोर टेस्ट के सवाल पर फिर गरमाई सियासत, आंकड़ों का खेल शुरू, पढ़ें खबर...


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.