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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कांग्रेस विधायक जीतराम पर टिप्पणी, दिल मांगे मोर..

थराली (चमोली) से कांग्रेस विधायक जीतराम की थराली को जिला बनाने की मांग और इस्तीफे की चेतावनी मुख्यमंत्री को कुछ ज्यादा ही अखर गई। कहा कि जीतराम कुछ ज्यादा ही महत्वकांक्षी हो गए।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2016 04:56 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2016 12:53 PM (IST)

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: थराली (चमोली) से कांग्रेस विधायक जीतराम की थराली को जिला बनाने की मांग और इस्तीफे की चेतावनी मुख्यमंत्री को कुछ ज्यादा ही अखर गई। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जीतराम के बयान पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जीतराम कुछ ज्यादा ही महत्वकांक्षी हो गए हैं और उनकी स्थिति दिल मांगे मोर मोड की है।
थराली विधायक जीतराम पिछले कुछ महीने से अपने क्षेत्र की समस्याओँ को कुछ अधिक तेवरों के साथ उठा रहे हैं। अब, जबकि चुनावी सीजन आ चुका है तो जीतराम क्षेत्र की जनता को यह दिखाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री के समक्ष जनता की बात को वह मजबूती से रख रहे हैं।

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ताजा बयान उनका काफी तल्ख रहा। उन्होंने कहा कि यदि थराली को जिला नहीं बनाया जाता तो वह इस्तीफे पर भी विचार कर सकते हैं। उनकी प्राथमिकता केवल क्षेत्र का विकास है और इस संबंध में कई बार वह मुख्यमंत्री से अनुरोध कर चुके हैं।

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गैरसैंण के सवाल पर उन्होंने कहा कि गैरसैंण को राजधानी बनाया जाना चाहिए, लेकिन अभी वहां अवस्थापन सुविधाएं काफी कम हैं और इनके विस्तार के बाद ही गैरसैंण को राजधानी बनाने की राह पर आगे बढ़ना चाहिए।
कांग्रेस विधायक जीतराम की मांगों पर जब मुख्यमंत्री हरीश रावत से सवाल पूछा गया तो अपने ही अंदाज में उन्होंने कहा कि जीतराम कुछ जरूरत से ज्यादा महत्वकांक्षी हो गए हैं। उनकी स्थिति दिल मांगे मोर मोड की है। साफ है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत को जीतराम के मुद्दे उठाने का अंदाज पसंद नहीं आया। यदि मुख्यमंत्री जीतराम के तेवरों से सहमत होते तो शायद ऐसी तल्ख टिप्पणी कर एक और विधायक के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलते।
गौरतलब है कि एक दिन पहले भाजपा से कांग्रेस में आए घनसाली के विधायक भीमलाल आर्य का भी मुख्यमंत्री हरीश रावत से मोहभंग हुआ नजर आया। भीमलाल ने यहां तक कहा कि जिनके लिए सर कलम करवाया, वो अब मिलने को भी तैयार नहीं हैं।

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इससे पूर्व कांग्रेस के दस विधायक हरीश रावत की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा करते हुए पार्टी से किनारा कर चुके हैं। इन विधायकों की बगावत का असर रहा कि तीन महीने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा रहा और तकनीकी कारणों के चलते हरीश रावत को बमुश्किल फिर सत्ता का स्वाद चखने को मिला।
एक के बाद एक कांग्रेस विधायकों के हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोलने से कांग्रेस हाईकमान भी पसोपेश में है, लेकिन हाई कमान की मौजूदा स्थिति ऐसी नहीं है कि उत्तराखंड में कांग्रेस में चल रही खींचतान पर अंकुश लगाने में सफल हो सके।

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नुकसान की भरपाई को केंद्र तैयार
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद अब केंद्र सरकार राज्य को हो रहे नुकसान की भरपाई को तैयार है। उन्होंने केंद्र से मदद न मांगने के भाजपा के आरोपों का भी कड़ा जवाब दिया। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों को लिखे 60 खतों का लेखाजोखा जारी किया। साथ ही दावा भी किया कि वह 71 बार केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं।
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