प्रीतम के समक्ष कांग्रेस को खोई प्रतिष्ठा वापस दिलाने की चुनौती
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रीतम सिंह के समक्ष की चुनौतियां हैं। उन्हें कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा को वापस लाने और गुटबाजी से पार पाना होगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: विधानसभा चुनाव और इससे पहले लोक सभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस को राज्य में खुद को फिर से स्थापित करना होगा। यह कम बड़ी चुनौती नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रीतम सिंह क्या कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा वापस दिला पाएंगे, यह बड़ा सवाल है। उनके सामने तमाम चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती संगठन में गुटबाजी और आंतरिक राजनीति से पार पाना होगा। इसके साथ ही लोगों का कांग्रेस पर भरोसा वापस लाना भी आसान नहीं होगा।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने न केवल सीटें खोईं, बल्कि जनाधार भी खोया। इसका सीधा मतलब है कि जनता का कांग्रेस पर विश्वास कम हुआ। अब अगले वर्ष 2018 में निकाय चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
ऐसे में इस छोटी सी अवधि में लोगों के खोए विश्वास को वापस पाने की चुनौती नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के सामने होगी। यह तभी संभव हो पाएगा, जब पार्टी एकजुट नजर आए। हालांकि, जिस तरह से हाईकमान ने चुपचाप प्रदेश अध्यक्ष बदलने का फैसला लिया, इससे कहीं न कहीं पार्टी के अंदर एक और धड़ा खड़ा होगा।
नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए तमाम धड़ों को एक मंच पर लाने और उन्हें संगठन की विचारधारा के साथ आगे बढ़ने के लिए एकजुट करना होगा, तभी किसी चमत्कार की उम्मीद आगामी चुनावों में की जा सकती है।
पार्टी के पास सेकेंड लाइन नेतृत्व भी मजबूत नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में युवा चेहरों को मजबूत करने और चुनाव से पहले संगठन को युवा मोर्चे पर मजबूत करने की चुनौती का सामना भी प्रदेश अध्यक्ष को करना होगा। पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय सचिव व विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि प्रीतम सिंह ऊर्जावान और तजुर्बेकार नेता हैं। उनके अनुभव से राज्य में कांग्रेस को खोई प्रतिष्ठा वापस मिलेगी और कांग्रेस मजबूत होकर वापसी करेगी।
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