Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड में बसपा के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 07 Jul 2017 08:52 PM (IST)

    प्रदेश में तीसरी राजनीतिक ताकत के रूप में पहचान बनाने वाली बसपा के सामने अब अस्तित्व बचाने की चुनौती है।

    उत्तराखंड में बसपा के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में तीसरी राजनीतिक ताकत के रूप में पहचान बनाने वाली बसपा के सामने अब अस्तित्व बचाने की चुनौती है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है की पार्टी के पदाधिकारी व चुनाव में प्रत्याशी रहे नेता पार्टी को छोड़ रहे हैं। हालांकि, बसपा को उम्मीद है कि जल्द ही परिस्थितियां बदलेंगी और पार्टी फिर से प्रदेश में अपना जनाधार बढ़ाएगी। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रदेश में बसपा का अच्छा जनाधार रहा है। विशेषकर दलित वोट बैंक अभी भी बसपा की ताकत बना हुआ है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने भले ही एक भी सीट न जीती हो, लेकिन वह सात प्रतिशत वोट लेकर प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी राजनैतिक ताकत के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रही। 

    राज्य के इतिहास पर नजर डालें तो बसपा ने राज्य में वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में तमाम आंकड़ों को धता बताते हुए सात सीटों पर कब्जा किया। वर्ष 2007 में बसपा ने प्रदेश में अपनी पकड़ और मजबूत बनाई और दल के आठ विधायक जीत कर आए। 

    वर्ष 2012 में बसपा से लोगों ने दूरी बनानी शुरू की और दल के मात्र तीन विधायक ही विधानसभा तक पहुंचे। इस वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में बसपा से खासी उम्मीदें थी, लेकिन पार्टी इस बार प्रदेश में खाता नहीं खोल पाई। यह बात दीगर रही कि बसपा को सात प्रतिशत वोट मिले और मत प्रतिशत के लिहाज से वह प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनीं। 

    हालांकि, इसमें भी बसपा को सबसे अधिक मत मैदानी क्षेत्रों में ही मिलें। यह बात अलग है कि इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर फूटने शुरू हो गए। प्रदेश प्रभारियों पर तरह-तरह के आरोप लगे और दल से इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। अब दल के पूर्व प्रत्याशियों व पदाधिकारियों ने भी दल के प्रभारियों पर पैसे लेने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है। इससे बसपा के वोट बैंक को खासा नुकसान होने का अंदेशा जताया जा रहा है। 

    यह बात अलग है कि पार्टी पदाधिकारी इसे बहुत अधिक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। बसपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी चरण सिंह का कहना है कि चुनाव में ईवीएम मशीनों के घोटाले के कारण भाजपा जीती। अब स्थिति फिर से बदल रही है। 

    पार्टी ने ब्लॉक स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम कर दिया है। अब विधानसभा स्तर पर कमेटी बनाई जा रही हैं। जहां तक लोगों के पार्टी छोड़ने की बात है तो इससे पार्टी को कोई खास असर नहीं पड़ता।

    यह भी पढ़ें: भाजपा को सत्ता में ला ठगा महसूस कर रही जनता: दिवाकर भट्ट 

    यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बसपा को झटका, कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

    यह भी पढ़ें: कांग्रेस सरकार ने प्रदेश को आर्थिक बोझ से दबाया: प्रकाश पंत