उत्तराखंड में आबकारी नीति पर मुहर, महंगी होगी शराब
लंबी जद्दोजहद, जनता के विरोध और असमंजस से बाहर निकलते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नई आबकारी नीति को हरी झंडी दे दी है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य मंत्रिमंडल ने आखिरकार चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए आबकारी नीति पर मुहर लगा दी। इस नीति के तहत प्रदेश में देशी और विदेशी शराब और बीयर के दामों में सात से 10 फीसद तक वृद्धि होगी। शराब के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर दो फीसद सेस लगाया जाएगा। चार मैदानी जिलों को छोड़कर शेष नौ जिलों में शराब की दुकानें दोपहर 12 बजे से शाम छह बजे तक ही खुलेंगी।
मैदानी जिलों में दुकानों के खुलने का समय सुबह दस बजे से रात्रि 10 बजे तक रहेगा। शराब को अधिक कीमत पर बेचने की शिकायतें सही पाए जाने और बिक्री की कंप्यूटर प्रिंटेड रसीद न देने पर छठे उल्लंघन में दुकान का लाइसेंस रद कर दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों और और राज्य में शराब की दुकानें खोलने के विरोध में विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे आंदोलन का असर सरकार की नई आबकारी नीति पर साफ दिखाई पड़ रहा है। हर महीने दूसरे और चौथे बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठकें तय हैं, लेकिन आबकारी नीति पर देरी से असमंजस को दूर करने का यह सरकार पर दबाव ही रहा कि तीसरे बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इसे मंजूरी दी गई। इससे पहले मंत्रिमंडल की दो बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा तो हुई, लेकिन फैसला नहीं हो सका था।
मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए सरकारी प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि दुकानों के लाइसेंस के लिए पात्रता बीते वर्ष के ही समान होंगी। अलबत्ता, पर्वतीय क्षेत्रों में शराब की दुकानों के खुलने की अवधि घटा दी गई है। इन क्षेत्रों में छह घंटा ही दुकानें खोली जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शराब की दुकानों की संख्या घटते देख मंत्रिमंडल ने राजस्व में वृद्धि का नया रास्ता तलाश किया है। देशी और विदेशी शराब की दुकानों के लिए आवेदन शुल्क पिछले साल की तुलना में क्रमश: चार हजार रुपये और तीन हजार रुपये बढ़ाया गया है।
अब आवेदन शुल्क क्रमश: 22 हजार रुपये व 25 हजार रुपये होगा। शहरी स्थानीय निकायों को छोड़कर शेष स्थानों पर देशी व विदेशी शराब की मिश्रित दुकानें जरूरत के मुताबिक खोली जा सकेंगी।
अधिक बिक्री पर सरकार को लाभ
शराब के अतिरिक्त उठान पर पूर्ण प्रत्याभूत ड्यूटी (एमजीडी) देय होगी। इससे शराब कारोबारियों को अधिक बिक्री पर होने वाले मुनाफे में कमी आएगी, जबकि सरकार के राजस्व में इजाफा होगा। शराब की एमआरपी पर दो फीसद सेस में एक फीसद सड़क सुरक्षा और एक फीसद सामाजिक सुरक्षा के लिए लिया जाएगा।
गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम को गेस्टहाउस में बार चलाने की अनुमति दी गई है। इसके लिए उन्हें लाइसेंस शुल्क में 50 फीसद छूट दी जाएगी।
जिलों को दिया राजस्व का लक्ष्य
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बीते वित्तीय वर्ष 2016-17 में आबकारी विभाग ने 1905.70 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए राजस्व अर्जन का लक्ष्य 2310 करोड़ रखा गया है। प्रत्येक जिले को क्षमता के मुताबिक अलग-अलग राजस्व लक्ष्य दिया गया है। जिलाधिकारी उक्त राजस्व को शराब की दुकानों को आवश्यकता के मुताबिक आवंटित करेंगे।
आबकारी नीति के प्रमुख बिंदु
-शराब के एमआरपी पर दो फीसद सेस, एक फीसद सड़क सुरक्षा व एक फीसद सामाजिक सुरक्षा पर होगा खर्च
-नौ पर्वतीय जिलों में छह घंटा दोपहर 12 से छह बजे तक खुलेंगी दुकानें
-चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर में सुबह 10 से रात्रि 10 बजे तक खुलेंगी दुकानें
-ओवर रेट और कंप्यूटर प्रिंटेड रसीद नहीं देने के मामले छह बार आए तो लाइसेंस रद
-जीएमवीएन और केएमवीएन के गेस्ट हाउस में चलेंगे बार
-पिछली नीति में अधिक बदलाव नहीं, पात्रता की समान शर्तें
-देशी और विदेशी शराब की दुकानों का आवेदन शुल्क क्रमश: 22 हजार व 25 हजार रुपये
आर्थिक अपराध शाखा में 15 पद
मंत्रिमंडल ने आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई में सीबीसीआइडी से प्रतिनियुक्ति की व्यवस्था खत्म कर 15 नए पदों को मंजूरी दी है। सीबीसीआइडी के वर्कलोड के मद्देनजर प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने में असमर्थता जताने पर मंत्रिमंडल ने यह कदम उठाया। इकाई में पुलिस उपाधीक्षक का एक, निरीक्षक के पांच, उप निरीक्षक के दो, आरक्षी के पांच और चालक के दो पदों को स्वीकृति मिल गई।
निर्धन तिब्बतियों को राहत
मंत्रिमंडल ने राज्य में खासतौर पर देहरादून में तरला नागल में सात एकड़ जमीन में रह रहे गरीब तिब्बती परिवारों के लिए भवन निर्माण पर लगने वाले 1.63 करोड़ का विकास शुल्क माफ किया है। देहरादून, हरिद्वार समेत विभिन्न क्षेत्रों में भी गरीब परिवारों को यह छूट दी जाएगी।
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