उत्तराखंड: कैबिनेट बैठक में विधायक की मौजूदगी पर भाजपा गरम
उत्तराखंड की कैबिनेट बैठक में विधायक विजयपाल सिंह सजवाण की मौजूदगी को लेकर भाजपा ने सरकार को निशाने पर लिया। राज्यपाल डॉ. केके पाल से सरकार को बर्खास्त करने की मांग की।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड की कैबिनेट बैठक में संसदीय सचिव व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण की मौजूदगी को लेकर भाजपा ने सरकार को निशाने पर लिया है। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने कैबिनेट की बैठक में विधायक व संसदीय सचिव की मौजूदगी को नियम विरुद्ध बताते हुए राज्यपाल डॉ. केके पाल से मुलाकात की और सरकार को बर्खास्त करने की मांग की।
सरकार की ओर से बीते रोज आहूत बैठक में संसदीय सचिव व विधायक विजय पाल सिंह सजवाण भी मौजूद थे। भाजपा ने इसे नियमविरुद्ध बताते हुए राजभवन की शरण ली। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल डॉ. केके पाल को ज्ञापन सौंप कर सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है।
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ज्ञापन में कहा गया कि मुख्यमंत्री ही संवैधानिक व्यवस्थाओं को तोडऩे का काम कर रहे हैं। कैबिनेट की बैठक में ऐसे विधायकों ने भी हिस्सा लिया, जो कैबिनेट के सदस्य नहीं हैं। कैबिनेट के इस कृत्य से संविधान के अनुच्छेद 164 (3) का उल्लंघन हुआ है।
कारण यह कि किसी मंत्री के पद ग्रहण करने से पहले राज्यपाल उसको पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं। विधायक या संसदीय सचिव को राज्यपाल शपथ नहीं दिलाते हैं। इससे साफ है कि गोपनीयता की संवैधानिक शर्त का जानबूझकर उल्लंघन किया गया है।
भाजपाईयों का आरोप है कि कैबिनेट का यह कृत्य विधान मंडल एवं संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राज्यपाल के प्रति भी घोर अनादर है। इस असंवैधानिक कृत्य के लिए जिम्मेदार सरकार को बर्खास्त किया जाए।
प्रतिनिधिमंडल में भाजपा प्रदेश महामंत्री नरेश बंसल, प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान, विनय गोयल के अलावा बलजीत सोनी और अनिल गोयल आदि शामिल थे।
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भाजपा नेताओं को सता रहा बर्खास्त होने का डर
मुख्यमंत्री हरीश रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा का बस चले तो पूरे देश के अंदर गैर भाजपा सरकारों को बर्खास्त कर दें। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को वर्ष 2017 में जनता द्वारा खुद के बर्खास्त होने का डर सता रहा है।
एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने कहा कि कई अफसरों पर संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करने वाले व राज्य को दल-बदल व खरीद-फरोख्त का दाग देने वालों को राज्य की जनता माफ नहीं करेगी।
भाजपा के कई संविधान व कानून विशेषज्ञों की राय पर चलकर ही कई विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से वंचित होना पड़ा। ऐसे विशेषज्ञों को अदालतों ने आईना भी दिखाया है।
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