उत्तराखंड के डेढ़ दर्जन भाजपाइयों को मिलेगा ओहदों का तोहफा
उत्तराखंड में सरकार बनने के बाद अब भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए लालबत्ती का पिटारा खुल सकता है। पंद्रह से बीस लोगों को सरकारी ओहदों से नवाजने की कोशिश तेज हो गर्इ है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में सरकार बनने के साढ़े चार महीने बाद सत्तारूढ़ दल भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए लालबत्ती का पिटारा खुल सकता है। पंद्रह से बीस लोगों को सरकारी ओहदों से नवाजने को अंदरखाने कसरत तेज हो गई है।
विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रदेश में बीती 18 मार्च को भाजपा सरकार बनी। नई सरकार बनने के तकरीबन दो माह बाद ही पार्टी के भीतर सरकारी ओहदे पाने को छटपटाहट शुरू हो गई थी। हालांकि पार्टी हाईकमान के सख्त रुख को देखते हुए यह आवाज बुलंद नहीं हो पाई, लेकिन इस मामले में अंदरखाने दबाव बढ़ रहा है। दरअसल, राज्य में पहली बार भाजपा के विधानसभा में तीन-चौथाई से ज्यादा यानी 57 विधायक निर्वाचित हुए हैं। राज्य मंत्रिमंडल में अभी दो सदस्यों के पद रिक्त हैं। इन पदों पर देर-सबेर नियुक्ति होनी है। मंत्री पद की दौड़ से खुद को बाहर पा रहे विधायकों की नजरें लालबत्तियों पर टिकी हैं। विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट झटका दे चुका है। लिहाजा अब सरकार में अन्य महत्वपूर्ण दायित्व को लेकर जोर-आजमाइश हो रही है।
विधायकों के अलावा पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी सरकारी ओहदे पाने की उम्मीद संजोए हुए हैं। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में दावेदार भाजपा नेता मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ ही पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के चक्कर भी काट रहे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी चालू माह अगस्त में बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे तकरीबन डेढ़ दर्जन नेताओं व कार्यकर्ताओं को सरकारी ओहदे थमा सकती है। पार्टी इस मामले में सतर्कता से कदम उठा रही है। ऐसे में सुशासन से जोड़कर यह कदम उठाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
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