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भाजपा का आरोप: ग्रामीण सड़कों में हुआ टेंडर घोटाला, सीबीआइ जांच की मांग

भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में पीएमजीएसवाइ योजना के तहत एक हजार करोड़ लागत की सड़कों के टेंडर में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 14 Jun 2016 11:26 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jun 2016 11:31 AM (IST)
भाजपा का आरोप: ग्रामीण सड़कों में हुआ टेंडर घोटाला, सीबीआइ जांच की मांग

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में पीएमजीएसवाइ योजना के तहत एक हजार करोड़ लागत की सड़कों के टेंडर में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार के मंत्री व अफसरों ने पीएमजीएसवाइ के नियमों को ताक पर रखकर षडयंत्र के तहत अपने चहेतों को सड़कों के काम आवंटित कर दिए। उन्होंने इन मामले की सीबीआइ जांच की मांग भी उठाई है।

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भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने इन अनियमितताओं से सरकारी खजाने पर करीब तीन सौ करोड़ की चपत लगने का भी आरोप लगाया।

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उन्होंने कहा कि केंद्र पोषित योजना में मॉडल बिड डाक्यूमेंट के तहत टेंडर प्रक्रिया होती है, मगर केबीएम कंस्ट्रक्शन को 3.33 करोड़ के दो पुलों के निर्माण का ठेका दे दिया गया, जबकि उक्त कंपनी सेतु निर्माण के लिए पंजीकृत नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसी कंपनी से 4.91 करोड़ की सड़कों के सर्वे व डीपीआर का काम भी दे दिया गया, जबकि यह कंपनी इस काम के लिए पंजीकृत ही नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि किल्बोखाल-टिकोलीखाल मार्ग पर उक्त कंपनी को 150 लाख का फर्जी भुगतान की पुष्टि भी विभागीय जांच में हो चुकी है।

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इसी तरह पंजीकरण न होने के बावजूद उक्त कंपनी से जुड़े व्यक्ति को 2.31 करोड़ की सड़कों की डीपीआर का कार्य दे दिया गया। केबीएम कंस्ट्रक्शन के इंजीनियर से पंजीकरण न होने पर भी 9.74 करोड़ की डीपीआर बनवाई, जो घोर अनियमितता है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चौहान ने कहा कि विभागीय अफसरों ने उन सड़कों के भी टेंडर अवार्ड कर दिया, जिनकी फारेस्ट क्लीयरेंस भी नहीं हुई थी।

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नियमों को ताक पर रखकर 113 में से 75 काम (225 करोड़ लागत) सिंगल बिड के आधार पर ही आवंटित कर दिए। सड़कों के एस्टीमेंट में भूस्खलन के मलबा निस्तारण जैसे कुछ ऐसे काम भी जोड़ दिए गए जो 80-90 फीसद फर्जी हैं। गत 3-4 वर्षों में हुए घोटालों में करीब 300 करोड़ की चपत सरकारी खजाने को लगाई गई।
उन्होंने कहा कि इस घोटाले में सरकार के मंत्री से लेकर अफसर व ठेकेदार संलिप्त रहे हैं। लिहाजा, इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआइ से कराई जानी चाहिए। भाजपा इस मामले में राज्यपाल व केंद्र सरकार से भी सीबीआइ जांच की मांग करेगी।

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