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    अनार की खेती से हो रही नोटों की बारिश, जानिए कैसे

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 13 Mar 2017 06:00 PM (IST)

    देहरादून के त्‍यूणी क्षेत्र में एक किसान अनार की खेती से चार लाख रुपये सालाना कमा रहा है। उनसे प्रेरित होकर आसपास के गांवों के खुद की तकदीर बदलने पर आमदा हैं।

    अनार की खेती से हो रही नोटों की बारिश, जानिए कैसे

    त्‍यूणी, [चंदराम राजगुरु]: उत्तराखंड में तीन लाख से ज्यादा घरों पर पड़े ताले पलायन की मार को बयां करने के लिए काफी हैं। ऐसे में यह खबर सुकून देने वाली है कि जज्बा हो तो नई इबारत लिखना मुश्किल नहीं। देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के एक किसान ने ठान ली कि हार नहीं मानूंगा। नतीजा उन्होंने गुरबत की बीमारी का इलाज अनार में ढूंढ निकाला। अब अनार की खेती से वह न केवल करीब चार लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं, बल्कि उनसे प्रेरित हो आसपास के गांवों के चार दर्जन से ज्यादा किसान खुद की तकदीर बदलने पर आमदा हैं।

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     दरअसल, पहाड़ी खेती पूरी तरह से मौसम के भरोसे है। परंपरागत कृषि में आसमान मेहरबान रहा तो खानेभर का अनाज निकल आएगा, वरना भगवान भरोसे। जौनसार-बावर की 70 फीसद आबादी कृषि पर ही निर्भर है। ऐसे में अणु पंचायत के 40 वर्षीय राजाराम के लिए खेती से गुजर-बसर मुश्किल होती जा रही थी। संयुक्त परिवार में रहने वाले राजाराम के दो बच्चे हैं, जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं। 
    राजाराम बताते हैं कि पांच साल पहले वह हिमाचल में अपने रिश्तेदारों से मिलने गये थे। वहां देखा कि वे लोग भगवा सिंदूरी अनार की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। राजाराम के अनुसार हिमाचल प्रदेश के निरुवा, चौपाल, रोहड़ू और जुब्बल जैसे इलाकों में इस प्रजाति के अनार की अच्छी पैदावार है। उन्होंने बताया कि जलवायु की दृष्टि से उनका इलाका भी हिमाचल जैसा है, इसीलिए उन्होंने भी इसे आजमाने की ठान ली।
    राजाराम ने अपनी छह बीघा असिंचित भूमि में अनार के पांच सौ पौधे रोपे। वह बताते हैं कि अनार के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। हां, चार साल उन्होंने नियमित देखभाल की। आज नतीजा सबके सामने है। राजाराम बताते हैं कि पहले पारंपरिक खेती से उन्हें महज 50 से 60 हजार रुपये की ही आय होती थी। अब उनसे प्रेरित होकर अणु, अटाल और हनोल-चातरा पंचायत के लोग भी अनार की खेती कर रहे हैं। 
    बाजार में अच्छी मांग
    अनार की अच्छी पैदावार होने से एक पेड़ से औसतन 20 से 25 किलो फल मिल जाता है। बाजार में भगवा सिंदूरी अनार की अच्छी मांग है। प्रति किलो 80 से 130 रुपये मिल जाते हैं।