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    गैरसैंण राजधानी पर हावी तराई का दबाव

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    Updated: Tue, 03 Nov 2015 01:23 AM (IST)

    राज्य ब्यूरो, देहरादून गैरसैंण में विधानसभा सत्र का दूसरी बार आयोजन और सत्तारूढ़ दल के नाते पहला अ ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, देहरादून

    गैरसैंण में विधानसभा सत्र का दूसरी बार आयोजन और सत्तारूढ़ दल के नाते पहला अधिवेशन होने के बाद भी कांग्रेस राजधानी के मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं कर पाई। राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं को खुद को जोड़कर पर्वतीय मतदाताओं को लुभाने में जुटी कांग्रेस पर आखिरकार विधानसभा सीटों का गणित भारी पड़ा। गैरसैंण में राजधानी के मुद्दे को खुद ही हवा देने के बाद अधिवेशन में पार्टी ने इससे किनारा करना ही गवारा समझा। माना जा रहा है कि प्रदेश की कुल 70 विधानसभा सीटों में मैदानी क्षेत्रों की हिस्सेदारी तकरीबन आधा होने के दबाव ने सत्तारूढ़ दल को यह रुख अपनाने को मजबूर किया।

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    गैरसैंण में विधानसभा सत्र घोषित होने के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस ने राज्य आंदोलनकारियों की भावना से खुद को जोड़कर राजधानी के मुद्दे को खासी हवा दी। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता गैरसैंण में पहले ग्रीष्मकालीन और फिर स्थायी राजधानी की पैरवी में उतरे। पार्टी के भीतर से ही यह मांग उठने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को कहना पड़ा कि गैरसैंण में पार्टी के अधिवेशन में राजधानी के मुद्दे पर रुख साफ किया जाएगा। लेकिन अधिवेशन होने के बाद भी पार्टी इस मुद्दे पर फैसला नहीं ले पाई। गैरसैंण में राजधानी के मुद्दे पर कांग्रेस ने सियासत गरमाने के बाद एकाएक पलटी मार दी। हालांकि, सत्तारूढ़ दल की इस रणनीति को भांपकर विपक्ष भाजपा ने गैरसैंण में स्थायी राजधानी बनाने की मांग कर कांग्रेस पर ही पासा फेंक दिया। पर्वतीय मतदाताओं को लुभाने की खेले जा रहे इस खेल में एक बार फिर तराई के क्षेत्रों की सीटों पर कमजोर पड़ने का अंदेशा भांपकर पार्टी ने इस मुद्दे को ढील देना ही मुनासिब समझा। इस मुद्दे पर सत्तारूढ दल और विपक्ष के बीच तकरार और तेज होना तय माना जा रहा है।