अमेरिकी फौज में 'पंजाबी कुड़ियां' व 'गबरू' भी दिखा रहे जलवा
चंडीगढ़ (पंजाब) की जसमीत खैरा, उसकी छोटी बहन बलरीत खैरा हो या होशियारपुर टांडा का गुरप्रीत सिंह गिल तीनों यूएस आर्मी में अपना जलवा दिखा रही हैं। पढ़ें, इनके जलवे।
रानीखेत, अल्मोड़ा, [दीप सिंह बोरा]: पंजाबी जित्थे जांदे नै, उत्थे अपणी पहचाण छड जांदे नै...', चंडीगढ़ (पंजाब) की जसमीत खैरा, उसकी छोटी बहन बलरीत खैरा हो या होशियारपुर टांडा का गुरप्रीत सिंह गिल तीनों यूएस आर्मी में अपना जलवा दिखा रही हैं। ये तीनों वाकई मिसाल हैं, क्यों पढ़ें यह खबर।
भारत की बेटी बलरीत कौर दुनिया की सबसे ताकतवर यूएस आर्मी में स्टाफ सार्जेंट और तेज तर्रार कमांडो में शुमार है। करीब एक दशक पूर्व ऑपरेशन इराक में हिस्सा लेने वाली भारतीय मूल की अकेली अमेरिकी महिला सैनिक।
बेशक उसका फर्ज यूएस आर्मी से जुड़ा है पर दिल में भारत ही बसता है। अपनी मातृभूमि से लगाव की ललक ही कहेंगे कि उसे इंडो अमेरिकन संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास के बहाने ही सही उसे अपने वतन आने का यह तीसरा मौका मिला है।
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पंजाब ही नहीं भारत भी छोड़ना पड़ा था खैरा परिवार को
सन् 1980 में आतंकवाद के दौर में 33-डी चंडीगढ़ निवासी खैरा परिवार को पंजाब ही नहीं बल्कि वतन ही छोड़ना पड़ा था। सौंधी माटी की महक से दूर रिश्तेदारों के कहने पर हांगकांग में बसे। हालात शांत हुए तो देश वापस लौटे।
29 नवंबर 1988 को व्यवसायी पिता सुरजीत सिंह खैरा व गृहणी माता सुखपाल खैरा के घर जन्मी बलरीत ने सातवीं तक की पढ़ाई चंडीगढ़ में ही की। मेडिकल की शौकीन बलरीत को पढ़ाई के लिये माता पिता ने 2001 में रिश्तेदारों के पास अमेरिका भेज दिया।
उच्च शिक्षा के बीच में ही देश की यह बेटी 2006 में यूएस आर्मी में भर्ती हुई तो पंजाब की दिलेरी ने उसे अमेरिकी फौज में एक अलग पहचान दिला दी।
खास बात कि ठीक एक साल बाद वर्ष 2007 व 2009 में बलरीत को अमेरिकी इंफेंट्री यूनिट ने विशेष ऑपरेशन के तहत उसे इराक भेजा। जहां यह जांबाज अकेली महिला कमांडो के रूप में कसौटी पर खरी उतरी। अपने भारत से प्यार इस कदर कि 2012 में भटिंडा, फिर 2014 और अब एक बार फिर उसे रानीखेत के चौबटिया (उत्तराखंड) में अपने हमवतन फौजियों क साथ संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास में दमखम दिखाने का मौका मिला है।
हालांकि यूएस आर्मी में लेफ्टिनेंट बड़ी बहन जसमीत खैरा 2014 के युद्धाभ्यास में रानीखेत आई थी। अबकी किन्हीं कारणों से मौके के बावजूद वह न आ सकी।
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ओबामा व मोदी की मुरीद है बलरीत
यूएस आर्मी में स्टाफ सार्जेंट बलरीत खैरा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खासी प्रभावित हैं। वजह ओबामा ने अमेरिकी सेना में तैनात भारतीय मूल खासतौर पर सिख सैनिकों को धार्मिक लिहाज से सम्मान दिया है।
बलरीत कहती है, वह कड़ा पहनती है। पुरुष सैनिकों को सिख धर्म के अनुरूप पगड़ी, केश व दाड़ी रखने की अनुमति दी गई है। मोदी की मुरीद इसलिये कि स्वच्छ भारत अभियान ने भारत ही नहीं अन्य देशों का ध्यान भी सफाई की ओर खींचा है।
भारत भी समझे लड़कियों की ताकत
बलरीत खैरा कहती है कि यूएस आर्मी जब ज्वायन की तब मात्र सात भारतीय मूल के सैनिक थे। आज अमेरिकी सेना में 105 भारतीय महिला-पुरुष सैनिक हैं। जहां तक लड़कियों का सवाल है, हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर रही हैं।
भारत को भी अमेरिका व अन्य विदेशी राष्ट्रों की तरह अपनी सेना में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को भर्ती करना चाहिये। इससे सेना की शान बढ़ती है।
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पंजाबी गबरू का भी जलवा
जसमीत व बलरीत खैरा के साथ होशियारपुर टांडा के गबरू गुरप्रीत सिंह गिल भी यूएस आर्मी के फूर्तीले जांबाजों में है। उसे कारगिल युद्ध ने सेना में जाने की प्रेरणा दी। मगर संयोग देखिये भारत के बजाय अमेरिकी फौज का सिपाही बन गया।
स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त बलवीर सिंह गिल व केंद्रीय विद्यालय जयपुर में शिक्षिका माता गुरमेल सिंह के बेटे गुरप्रीत का जन्म 26 नवंबर 1986 को हुआ। इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई जयपुर से ही की। 2008 में कोटा से बीटेक किया।
एक कंपनी ने टूर पर गुरप्रीत को शिकागो भेजा। ऑनलाइन सर्च के जरिये अमेरिका में भर्ती की जानकारी मिली। इस पंजाबी गबरू ने जॉर्जिया में सेना भर्ती में हिस्सा लिया। सितंबर 2014 में बतौर यूएस सोल्जर अमेरिकी सेना ज्वाइन कर ली। बड़ा भाई बलप्रीत सिंह कनाडा में रियल एस्टेट का कारोबार करता है।
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