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    आधार कार्ड अब चार्जशीट और फाइनल रिपोर्ट में भी होगा जरूरी

    By amal chowdhuryEdited By:
    Updated: Thu, 29 Jun 2017 11:11 AM (IST)

    कई मामलों में गवाहों का नाम-पता सही नहीं मिलता था, पुलिस की पूछताछ में भी उनकी कोई आइडी नहीं लगती थी।

    आधार कार्ड अब चार्जशीट और फाइनल रिपोर्ट में भी होगा जरूरी

    उन्नाव (मोहित पांडेय)। बायोमीट्रिक पहचान के चलते आधार नंबर की बढ़ रही प्रासंगिकता को अदालत ने भी अहमियत दी है। वादी, प्रतिवादी और गवाहों का नाम पता फर्जी होने से लंबित रहने वाले मुकदमों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश ने पुलिस की सिरदर्दी बढ़ा दी है। अब पुलिस को किसी भी मुकदमे की चार्जशीट और एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगाने में संबंधित व्यक्तियों का आधार नंबर लिखना अनिवार्य होगा।

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    कई मामलों में गवाहों का नाम-पता सही नहीं मिलता था। पुलिस की पूछताछ में भी उनकी कोई आइडी नहीं लगती थी। कोर्ट की दौड़भाग से बचने के लिए अक्सर गवाह गलत पता बता देते थे। इससे जब कोर्ट में गवाही देने का नंबर आता था तो उन्हें सम्मन जारी होते थे। पुलिस जब गवाह के पते पर पहुंचती तब पता चलता कि वहां इस नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं है। इससे मुकदमों की सुनवाई में बेवजह की देरी होती थी।

    पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इसे संज्ञान में लेकर अब चार्जशीट के दौरान आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। सीओ सिटी हृदेश कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश के तहत आधार नंबर को अनिवार्य कर उसे प्रभावी रूप से लागू किया गया है। करीब छह ऐसे मुकदमे हैं जिनमें आधार नंबर के साथ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई है।

    नए मुकदमों में तो आधार अनिवार्य ही है, पुराने मामलों में भी बिना आधार नंबर के कोर्ट में केस डायरी नहीं ली जाएगी। पुलिस के लिए पुराने मुकदमों के वादी, प्रतिवादी और गवाह के आधार कार्ड जुटाना मुश्किल साबित हो रहा है।

    उन्नाव की पुलिस अधीक्षक नेहा पांडेय कहती हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद जो भी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई उसमें आधार नंबर दिए गए हैं। यही प्रक्रिया मुकदमे की फाइनल रिपोर्ट लगाने पर अपनाई जा रही है। विवेचकों को इसके लिए ताकीद कर दिया गया है।

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    एफआर को कभी भी कोर्ट ले सकती संज्ञान: दर्ज मुकदमे में सही तथ्य न पाए जाने पर विवेचक उसमें एफआर लगा देता है, हालांकि कोर्ट चाहे तो एफआर को भी संज्ञान ले सकती है। इन हालातों में वादी, प्रतिवादी और गवाह के नाम पते में कोई भिन्नता न आए, इस वजह से एफआर में भी आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है।

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