'खूनी' महाभारत
मुजफ्फरनगर: कवाल प्रकरण के बाद मुजफ्फरनगर में उपजे हालात रौद्र रूप धारण करते रहे। जनपद में सियासत करने वाले अधिकांश राजनीतिक दल थोक वोट बैंक को हथियाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे। सब अपनी-अपनी ढपली बजाकर प्रशासन को भी नाच नचाते रहे।
कवाल में तीन युवकों की हत्या के बाद अगले दिन से दोनों संप्रदाय के राजनीतिक पार्टियों के दिग्गजों ने सियासत का खेल जमकर खेला। सबका मकसद सिर्फ अर्जुन के तीर की तरह निशाना चिड़िया की आंख लोकसभा चुनाव ही था। राजनीति की बिसात पर पहले दिन शहीद चौक पर जुटी भीड़ की नुमाइंदगी करने वाले नेता अपनी पार्टी के लिए शक्ति प्रदर्शन कर कवाल में हुई शहनवाज की हत्या करने वालों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे। गौरव और सचिन की हत्या को लेकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग के लिए भाजपा, कांग्रेस और भाकियू समेत तमाम हिंदुवादी संगठनों ने घेराबंदी की। पंचायत को लेकर सबने अपनी-अपनी ताल ठोंकी।
प्रशासन सिर्फ सभी के आगे मनुहार करने की मुद्रा में रहा। शहीद चौक पर जहां आग उगली गई वहीं, मंदौड़ में पंचायत में तरकश से तीखे तीरों का वार किया गया। प्रशासन इसी नूराकुश्ती में उलझा रहा। किसी ने भी जनपद में अमन और चैन कायम करने की दिशा में कोई काम नहीं किया।
इसके चलते हालात बेकाबू हो गए। दस दिन पहले एक-दूसरे के सामने खैरमकदम करने वाले नेता अब फूटी आंख नहीं सुहा रहे थे। इसका ही परिणाम देखने को मिला की लोकसभा चुनाव की गोटियां फिट कर अपनी-अपनी पार्टी के लिए थोक वोट बैंक भरने की नेताओं की कुटिल चाल में जनपद मुजफ्फरनगर को शनिवार को हिंसा की आग में धकेल दिया। अब शहर सुरक्षा बलों के हवाले है और लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो चले हैं।
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