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    हादसों से सबक नहीं, ठहराव वाली ट्रेन तूफान एक्सप्रेस का सिग्नल थ्रू

    मीरजापुर में भोर तीन बजे की बात है, यहां डाउन में तूफान एक्सप्रेस को थ्रू कर दिया गया जबकि इस ट्रेन का ठहराव मीरजापुर स्टेशन पर है। साथ ही देखें पांच साल के बड़े हादसे और नदारद सबक।

    By Nawal MishraEdited By: Updated: Wed, 28 Dec 2016 07:46 PM (IST)

    मीरजापुर (जेएनएन)। अक्सर ट्रेन हादसे के बाद भी रेलवे के कर्मचारी सतर्कता नहीं बरत रहे हैं। मीरजापुर में भोर तीन बजे की बात हैं, डाउन में तूफान एक्सप्रेस को थ्रू कर दिया गया जबकि इस ट्रेन का ठहराव मीरजापुर स्टेशन पर है। सिग्नल हरा देख ट्रेन के चालक व गार्ड के होश उड़ गए। उन्होंने वाकी टाकी से सिग्नल हरा होने की जानकारी डिप्टी एसएस मीरजापुर को दी। उसके बाद सिग्नल लाल किया गया। रेलवे के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। डिप्टी एसएस के खिलाफ जांच बैठायी गई है। वहीं बुधवार देर रात चुनार रेलवे स्टेशन के यार्ड में शंटिंग के दौरान मालगाड़ी का एक वैगन पटरी से उतर गया। इस बाबत मंडल रेल प्रबंधक ने घटना का जांच का आदेश दिया है।

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    चालक ने कहा, इमरजेंसी ब्रेक न लगाता तो जा सकती थी सैकड़ों जानें

    उल्लेखनीय है कि कानपुर देहात के निकट रुरा स्टेशन के पास सुबह 5.42 बजे अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस (12988) के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में बड़ी संख्या मैं यात्री हताहत बताए जा रहे हैं। इस स्टेशन से 30 किलोमीटर पहले पुखरायां स्टेशन पर 38 दिन पहले एक बड़ा रेल हादसा हुआ था। हादसे में 152 लोगों की मौत हो गई थी। हादसा तब हुआ था जब इंदौर से पटना जा रही एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। पिछले 15 सालों में प्रदेश भर में एक दर्जन से अधिक बड़े हादसे हुए हैं। इन हादसों में 417 लोगों को जाने गंवानी पड़ीं। इसके बावजूद सरकारों ने हादसे रोकने के लिए एक भी कड़ा कदम नहीं उठाया है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) आंकड़ों के मुताबिक रेल हादसों में प्रदेश दूसरे स्थान पर हैं। वहीं मध्य प्रदेश तीसरे नंबर है।

    कानपुर में अजमेर- सियालदाह एक्सप्रेस दुर्घटना की भयावह तस्वीरें

    यूपी में पांच साल के बड़े रेल हादसे

    • 28 दिसंबर 2016- सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस के 15 डिब्बे रूरा के पास पटरी से उतर गए। हादसे में पांच की मौत हो गई जबकि 60 से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं।
    • 21 नवंबर 2016- इंदौर से पटना जा रही एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में 142 लोगों की मौत और 180 से ज्यादा घायल हो गए थे।
    • 25 जुलाई 2016- वाराणसी के भदोही के पास रेलवे क्रॉसिंग पर एक स्कूल वैन को ट्रेन ने टक्कर में 10 बच्चों ने अपनी जान गंवाई।
    • 20 मार्च 2015- देहरादून-वाराणसी एक्सप्रेस रायबरेली के बछरावां के पास पटरी से उतरने से करीब 32 लोगों की हुई थी मौत।
    • 1 अक्टूबर2014- लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस और कृषक एक्सप्रेस आपस में गोरखपुर में नंदानगर क्रॉसिंग भिड़ने से 14 की हुई थी मौत।
    • 31 मई 2012- हावड़ा से देहरादून जा रही दून एक्सप्रेस के छह पहिए पटरी से उतर गए। तीन लोगों की जान चली गई।
    • 20 मार्च 2012- लोगों से भरी हुए के एक गाड़ी हाथरस में एक रेलवे क्रॉसिंग पार करते एक ट्रेन के चपेट में आई थी, 15 लोग मरे थे।
    • 10 जुलाई 2011- को फतेहपुर के पास कालका एक्सप्रेस डीरेल हुई थी। हादसे में 69 जानें गईं थी।
    • 7 जुलाई 2011- एक यात्री बस एटा में रेलवे क्रॉसिंग पार करने के दौरान ट्रेन से टकड़ा गई, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई।
    • 16 जनवरी 2010- फिरोजाबाद में टूंडला के पास कालिंदी एक्सप्रेस ने श्रम शक्ति को टक्कर मार दी थी, आधा दर्जन मौतें हुईं थीं।
    बिछा दी गई जर्जर पटरी

    कानपुर-झांसी रेल मार्ग पर पुखरायां हादसे के बाद रेलवे ट्रैक बदलने के दौरान जर्जर पटरी ही बिछा दी गई। तीसरी बार जांच को आए सीआरएस पीके आचार्या की निगाह में जब यह आया तो उन्होंने फटकार भी लगाई थी। उसके पूर्व झांसी ट्रैक के हादसे वाले स्थान से 21 किमी पीछे इंदौर-पटना एक्सप्रेस टूटी पटरी से गुजरी थी। दो दिन पहले ही कुशीनगर एक्सप्रेस पुखरायां में टूटी पटरी से गुजरी थी, बाद में लालबत्ती दिखा पटना-इंदौर एक्सप्रेस को रोका गया। जाहिर है कि टूटी पटरी को लेकर महकमा गंभीर नहीं हुआ। इस बार भी जांच बैठेगी और रिपोर्ट हादसे का कारण तय करेगी। रेलवे के अधिकारी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि यह हादसा भी रेल फ्रैक्चर का ही नतीजा हो सकता है। नहर पुल से चंद कदम पीछे ट्रेन की सबसे अंतिम बोगी से दूसरे कोच के नीचे टूटी पटरी तो यही बयां कर रही थी।