इमरजेंसी देश के इतिहास का काला धब्बा : बालियान
मेरठ : इमरजेंसी देश के इतिहास के लिए काला धब्बा है। कैराना में पलायन हकीकत है, जिसे प्रदेश सरकार झु
मेरठ : इमरजेंसी देश के इतिहास के लिए काला धब्बा है। कैराना में पलायन हकीकत है, जिसे प्रदेश सरकार झुठला रही है। शनिवार को सर्किट हाउस में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान ने मीडिया से बातचीत में इमरजेंसी की याद दिलाई।
गौरतलब है कि 25 जून 1975 को ही देश में आपातकाल लागू किया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को इमरजेंसी के काले इतिहास को नहीं भूलने देना है। वे जानते रहें कि कांग्रेस ने इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र का गला घोंट दिया था। यह वही कांग्रेस है जो नागरिकों के अधिकार की दुहाई देती है, जिसने आपातकाल के दौरान 14 लाख लोगों को जेल भेज दिया था। नौकरशाही में भ्रष्टाचार को भी आपातकाल की प्रवृत्तियों ने बढ़ावा दिया। डा. संजीव बालियान ने कहा कि कैराना में बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है। मुजफ्फरनगर जेल में बैरक 3 में ऐसे ही अपराधी रखे जाते हैं। जिनके जरिये, उगाही, रंगदारी के खेल प्रदेश सरकार करा रही है। इन्हें हर सुविधा मुहैया कराई जाती है। कहा कि 'शोरगुल' जैसी फिल्में नहीं बननी चाहिए। दोनों समुदाय मिल-जुलकर रह रहे हैं, शोरगुल से वैमनस्य फैलेगा। मुजफ्फरनगर ही नहीं पूरे देश में इस तरह की फिल्म पर प्रतिबंध लगना चाहिए। महापौर हरिकांत अहलूवालिया, दक्षिण विधायक रविंद्र भड़ाना, कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, पूर्व संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष बिजेंद्र अग्रवाल, जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा, महानगर अध्यक्ष करुणेश नंदन गर्ग, विनीत शारदा, जयकरण गुप्ता, आलोक सिसौदिया, हरवीर सिंह पाल, ललित नागदेव, कमलदत्त शर्मा, सुनील शर्मा आदि मौजूद रहे।
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