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    राज्य कर्मचारियों की हड़ताल से अस्पतालों से लेकर दफ्तरों तक ठप रहा कामकाज

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 10 Aug 2016 07:43 PM (IST)

    हड़ताल का अधिक असर शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यान, कृषि, लोक निर्माण, समाज कल्याण, खाद्य एवं रसद विभाग के कार्यालयों पर पड़ेगा। जवाहर भवन-इंदिरा भवन में भी कामकाज प्रभावित हो सकता है।

    लखनऊ (जेएनएन) । राज्य कर्मचारियों की हड़ताल ने बुधवार को प्रदेश के कमोवेश सभी जिलों में सरकारी सेवाओं को जोरदार झटका दिया। अस्पतालों में सुबह तीन घंटे के कार्य बहिष्कार के दौरान ओपीडी ठप रहीं, जबकि पीडब्ल्यूडी, उद्यान, वाणिज्य कर और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में कहीं सन्नाटा पसरा रहा तो कहीं सुबह दफ्तर खुलने के कुछ समय बाद ही ताला लग गया। अधिक असर अस्पतालों में नजर आया। इलाज न मिलने से लोग परेशान रहे और अधिक खर्च कर निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हुए।

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    छठे दिन काम ठप, कर्मचारी लामबंद और दफ्तर में तालाबंद

    पहले दिन की सफलता से उत्साहित कर्मचारी नेता अगले दो दिनों में हड़ताल का प्रभाव और बढ़ाने के लिए देर शाम तक उन कर्मचारी संगठनों को भी अपने साथ लाने में जुटे थे, जो हड़ताल से बाहर हैं। इससे पहले सुबह से ही हड़ताली संगठन ने राज्य सरकार के दफ्तरों को बंद कराने की तैयारी कर ली थी। लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जिलों में कर्मचारी नेताओं की टोलियां बनाईं गई थीं। इन टोलियों ने सुबह दस बजे से ही दफ्तरों में पहुंचकर कर्मचारियों को अपने पक्ष में जुटाना शुरू कर दिया था।

    छठे दिन काम ठप, कर्मचारी लामबंद और दफ्तर में तालाबंद

    दोपहर 12 बजने तक बड़े पैमाने पर असर दिखने भी लगा था। हालांकि इंदिरा भवन-जवाहर भवन सहित कई जगह हड़ताल का असर नजर नहीं आया। दूसरी तरफ कर्मचारी नेताओं का दावा है कि करीब 150 संगठन और 80 फीसद कर्मचारी हड़ताल पर रहे। उन्होंने बताया कि लखनऊ के मुकाबले प्रदेश के अन्य जिलों में हड़ताल अधिक सफल रही है। दोपहर एक बजे परिषद अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी व अन्य कर्मचारी नेताओं ने सभा कर शासन को चेतावनी दी कि यदि तीन दिन की हड़ताल खत्म होने से पहले मांगों पर आदेश जारी न किया गया तो हड़ताल को अनिश्चितकालीन में बदल दिया जाएगा।

    राजधानी लखनऊ में राज्यकर्मियों की हड़ताल का मिलाजुला असर

    देर रात हुई रोकने की कोशिश

    कर्मचारी नेताओं ने बताया कि बीती रात करीब साढ़े दस बजे लखनऊ के जिलाधिकारी ने फोन कर व्यवस्था का हवाला देते हुए हड़ताल टालने का आग्र्रह किया था। कर्मचारी नेता ने मांगें पूरी होने की शर्त रखी तो जिलाधिकारी ने मुख्य सचिव से वार्ता के लिए कुछ देर का समय मांगा। देर रात करीब साढ़े बारह बजे डीएम का फिर फोन आया। कर्मचारी नेता के मुताबिक डीएम ने सुबह होते ही खुद आदेश जारी कराने के लिए जुटने का भरोसा दिया और हड़ताल न करने को कहा, लेकिन कर्मचारी नेताओं ने इसे नहीं माना।

    उत्तर प्रदेश में राज्यकर्मियों की हड़ताल से अधिकांश दफ्तरों में ताले

    घूम-घूम कर बंद कराए दफ्तर

    लखनऊ में राज्य सरकार के दफ्तर बंद कराने के लिए परिषद ने तीन टीमें बनाई थीं। इन टीमों ने आरटीओ, शिक्षा भवन, अर्थ एवं संख्या कार्यालय, श्रम, समाज कल्याण, विकास दीप, उद्यान, कृषि विपणन, उपभोक्ता फोरम, जवाहर भवन व कैसरबाग कोषागार, रजिस्ट्री, आबकारी, विकास भवन व लोक निर्माण कार्यालय सहित कई कार्यालयों में काम ठप कराया।

    उद्यान भवन में सभा आज

    हड़ताल के दूसरे दिन यानि गुरुवार के लिए परिषद ने और अधिक कार्यालयों में सुबह पहुंचने की तैयारी की है। दोपहर तक कार्यालयों में काम बंद कराने के बाद दिन में एक बजे सप्रू मार्ग स्थित उद्यान विभाग कार्यालय में सभा होगी।

    बोझ 500 करोड़ सालाना, नुकसान 800 करोड़ रोज का

    राज्य कर्मचारियों की मांगें पूरी होने से सरकार पर खर्च तो महज 500 करोड़ रुपये सालाना का बढ़ता, जबकि सिर्फ एक दिन की हड़ताल से ही कर्मचारी नेताओं ने करीब 800 करोड़ रुपये नुकसान का दावा किया है। उनका कहना है कि हड़ताल में मनरेगा कर्मचारियों के शामिल होने से अकेले मनरेगा में ही लगभग 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। तीन दिन हड़ताल चलने पर यह रकम ढाई हजार करोड़ रुपये बनती है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि हठधर्मिता के कारण सरकार जितना नुकसान करा रही है, उतने में तो अगले पांच साल तक का वित्तीय बोझ निपट जाता।